जीवन बीमाकर्ता के रूप में पंजीकरण

जीवन बीमाकर्ता के रूप में पंजीकरण

बीमा कंपनी का पंजीकरण

एक भारतीय बीमा कंपनी के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदक को तीन स्तरों से गुजरना होगा। स्तर-वार प्रक्रिया एवं अपेक्षित दस्तावेज नीचे स्पष्ट किये जाते हैं :

आर1 स्तरः

इसके अलावा, आवेदन की जाँच कुछ अपेक्षाओं के आधार पर की जाती है जैसा कि आईआरडीएआई (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) (सातवाँ संशोधन) विनियम, 2016 के उप-विनियम 7 में बताया गया है, जोकि निम्नानुसार हैः

  1. आर-1 में सभी प्रस्तुतीकरणों की जाँच संबंधित नोडल विभागों के द्वारा की जाती है। आर-1 आवेदन में निम्नलिखित दस्तावेज भी शामिल हैं :
  • संस्था के बहिर्नियमों और अंतर्नियमों की प्रमाणित प्रति, जहाँ आवेदक एक कंपनी है और कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) के अधीन निगमित है; अथवा
  • बीमा व्यवसाय करने के लिए सांविधिक निकाय स्थापित करनेवाले संसद के अधिनियम की प्रमाणित प्रति;
  • निदेशकों का नाम, पता और व्यवसाय;
  • पंजीकरण आवेदन की माँग फाइल करने के वर्ष से पूर्ववर्ती पिछले पाँच वर्षों के लिए भारतीय प्रवर्तकों और विदेशी निवेशकों की वार्षिक रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति;
  • आवेदक के भारतीय प्रवर्तकों और विदेशी निवेशकों के बीच शेयरधारकों के करार की एक प्रमाणित प्रति;
  • आवेदक के निदेशक बोर्ड द्वारा विधिवत् अनुमोदित 5 वर्ष के लिए व्यवसाय का पूर्वानुमान;
  • भारतीय प्रवर्तक और विदेशी निवेशक व्यवसाय/कारोबार के जिन क्षेत्रों में लगे हुए हैं उनमें ऐसे प्रत्येक भारतीय प्रवर्तक और विदेशी निवेशक के आचरण और कार्यनिष्पादन का पिछला सामान्य रिकार्ड; 
  • भारतीय प्रवर्तकों, विदेशी निवेशकों और आवेदक के प्रबंधन में निदेशकों और व्यक्तियों के आचरण और कार्यनिष्पादन का रिकार्ड;
  • आवेदक का पूँजी विन्यास;
  • ग्रामीण क्षेत्र में निवास करनेवाले व्यक्तियों, असंगठित क्षेत्र या अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों अथवा आर्थिक रूप से असुरक्षित अथवा समाज के पिछड़े वर्गों तथा प्राधिकरण द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य श्रेणियों के व्यक्तियों को जीवन बीमा अथवा साधारण बीमा अथवा स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने का दायित्व पूरा करने की क्षमता;
  • साधारण बीमा कंपनियों के संबंध में प्राधिकरण द्वारा यथाविनिर्दिष्ट रूप में मोटर वाहनों के अन्य पक्ष जोखिम में बीमा व्यवसाय का जोखिम-अंकन करने का दायित्व पूरा करने की क्षमता;
  • आवेदक की योजनाबद्ध बुनियादी संरचना;
  • बीमा व्यवसाय का संचालन प्रभावी ढंग से करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय स्थान की स्थापना सहित, पाँच अनुवर्ती वर्षों के लिए प्रस्तावित व्यवसाय विस्तार की योजना;
  • तथा अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिए अन्य संबंधित विषय।  

  1. इस प्रक्रिया के दौरान, यदि आवश्यक हो तो आईआरडीएआई प्रश्न उठाता है, स्पष्टीकरण/दस्तावेज माँग सकता है। आवेदक के द्वारा प्रस्तुत किये गये आवेदन और दस्तावेजों की जाँच संबंधित विभागों के द्वारा वित्तीय, निवेश, कारपोरेट अभिशासन, शोधन-क्षमता, बीमांकिक आदि सहित सभी परिप्रेक्ष्यों से की जाती है।  विभिन्न विभागों से संतोषजनक टिप्पणियाँ प्राप्त होने के बाद आर1 आवेदन अनुमोदन के लिए बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
  2. प्राधिकरण प्रस्तुत की गई सूचना से संतुष्ट होने पर तथा यह सत्यापन किये जाने पर कि –
  • फार्म आईआरडीएआई/आर1 में माँग सभी प्रकार से पूर्ण है तथा उसके साथ उसमें अपेक्षित सभी दस्तावेज उसके साथ प्रस्तुत किये गये हैं; तथा
  • आवेदक विनिर्दिष्ट रूप में भारत के अंदर निवेशों के प्रबंध सहित बीमा व्यवसाय के संबंध में सभी कार्य संचालित करेगा; उक्त माँग को स्वीकार कर सकता है और आवेदक को पंजीकरण के लिए आवेदन जारी कर सकता है।
  1. बोर्ड द्वारा अनुमोदन किये जाने पर, नोट की गई टिप्पणियों, यदि कोई हों, सहित आवेदक को आर1 अनुमति-पत्र जारी किया जाता है और तदनुसार उनका अनुपालन करने के लिए उनकी सूचना देते हुए आर2 आवेदन फाइल करने के लिए सूचित किया जाता है।

आर2 स्तरः

  1. आवेदक के द्वारा पंजीकरण के लिए आवेदन आर2 आईआरडीएआई (भारतीय बीमा कंपनियों का पंजीकरण) (सातवाँ संशोधन) विनियम, 2016 के अंतर्गत निर्धारित रूप में फाइल किया जाता है।
  2. आर2 आवेदन में निम्नलिखित को अनिवार्यतः शामिल किया जाना चाहिए-

   बशर्ते कि भारतीय प्रवर्तक के सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) होने की स्थिति में, ऐसे शपथ-पत्र पर प्राधिकृत भागीदार द्वारा हस्ताक्षर किए जाएँगे।

  • यदि आवेदन जीवन बीमा व्यवसाय अथवा साधारण बीमा व्यवसाय अथवा स्वास्थ्य बीमा व्यवसाय हेतु प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए है, तो एक सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक प्रदत्त ईक्विटी शेयर पूँजी होने का साक्ष्य;
  • यदि आवेदन पुनर्बीमा व्यवसाय हेतु प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए है, तो दो सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक प्रदत्त ईक्विटी शेयर पूँजी होने का साक्ष्य;
  • यह प्रमाणित करते हुए आवेदक के प्रवर्तकों और विदेशी निवेशकों द्वारा शपथ-पत्र कि अधिनियम की धारा 6(1) के दूसरे परंतुक की इस आशय की अपेक्षाएँ कि कंपनी के किन्हीं प्रारंभिक व्ययों को घटाने के बाद प्रदत्त ईक्विटी पूँजी पर्याप्त है, पूरी की गई हैं;
  • आवेदक की शेयर पूँजी के संबंध में प्रत्येक भारतीय प्रवर्तक और निवेशक को जारी किये गये शेयरों की सुस्पष्ट संख्याएँ निर्दिष्ट करनेवाला विवरण;
  • यह प्रमाणित करते हुए आवेदक के भारतीय प्रवर्तकों और विदेशी निवेशकों के प्रबंध निदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अथवा पूर्णकालिक निदेशक द्वारा शपथ-पत्र कि अधिनियम की धारा 2 के खंड (7ए) के उप-खंड (बी) में उल्लिखित विदेशी प्रदत्त ईक्विटी पूँजी की धारित राशि का परिकलन इन विनियमों के विनियम 11 के साथ पठित भारतीय बीमा कंपनियाँ (विदेशी निवेश) नियम, 2015 के अनुसार किया गया है तथा यह आवेदक कंपनी की कुल प्रदत्त ईक्विटी पूँजी के उनचास (49) प्रतिशत से अधिक नहीं है;  
  • आवेदक के संबंध में विदेशी निवेश के होने की स्थिति में, यह प्रमाणित करते हुए आवेदक के प्रबंध निदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अथवा पूर्णकालिक निदेशकों से शपथ-पत्र कि कंपनी भारतीय बीमा कंपनियाँ (विदेशी निवेश) नियम, 2015 और समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय स्वामित्व-प्राप्त और नियंत्रित के संबंध में प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये दिशानिर्देशों के साथ पठित अधिनियम की धारा 2 की उप-धारा (7ए) के खंड (बी) के अनुसार भारतीय स्वामित्व-प्राप्त और नियंत्रित है;
  • जहाँ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 26 प्रतिशत से अधिक है, वहाँ भारतीय बीमा कंपनियाँ (विदेशी निवेश) नियम, 2015 के अनुसार एफआईपीबी द्वारा दिये गये अनुमोदन की प्रमाणित प्रति;
  • प्रकाशित प्रास्पेक्टस, यदि कोई हो, की प्रमाणित प्रति;
  • बीमाकर्ता के मानक फार्मों की प्रमाणित प्रति तथा जीवन बीमा व्यवसाय की स्थिति में बीमा पालिसियों के संबंध में प्रस्तावित की जानेवाली आश्वासित दरों, लाभों, निबंधनों और शर्तों के विवरणों की प्रमाणित प्रति, बीमांकक द्वारा एक प्रमाणपत्र के साथ कि ऐसी दरें, लाभ, निबंधन और शर्तें व्यवहार्य और सुदृढ़ हैं;  
  • भारतीय प्रवर्तकों और विदेशी निवेशकों, यदि कोई हों, के बीच अथवा समग्र रूप में प्रवर्तकों के बीच किसी भी रूप में किये गये सहमति ज्ञापन अथवा प्रबंधन करार अथवा शेयरधारक करार अथवा मताधिकार करार अथवा किन्हीं अन्य करारों की प्रमाणित प्रति, पक्षकारों के बीच विनिमय किये गये समर्थन / चुकौती आश्वासन पत्रों (लेटर आफ कम्फर्ट) के विवरण के साथ;
  • पाँच लाख रुपये के वापस न करने योग्य शुल्क के भुगतान के समर्थन में सबूत;
  • यह प्रमाणित करते हुए एक व्यवसायी सनदी लेखाकार (सीए) अथवा व्यवसायी कंपनी सचिव से प्राप्त प्रमाणपत्र कि पंजीकरण शुल्क, ईक्विटी शेयर पूँजी से संबंधित सभी अपेक्षाओं, तथा अधिनियम की अन्य अपेक्षाओं का अनुपालन आवेदक द्वारा किया गया है;
  • पंजीकरण के लिए आवेदन के प्रसंस्करण के दौरान प्राधिकरण द्वारा अपेक्षित कोई अन्य सूचना। 

  1. आवेदन पर विचार करते समय निम्नलिखित क्षेत्रों की भी जाँच की जाती है अर्थात्
  • बीमा उत्पादों का स्वरूप;
  • आवेदक कंपनी के प्रबंधन के अंदर बीमांकिक, लेखांकन और अन्य व्यावसायिक विशेषज्ञता का स्तर;
  • अपने स्वयं के संगठनों के अंदर निवेशों के प्रबंध सहित बीमा व्यवसाय के संबंध में सभी कार्य करने के लिए आवेदक के संगठन की संरचना;
  • अधिनियम के उपबंध कार्यान्वित करने के लिए सभी अन्य संबंधित विषय।

  1. आर-2 आवेदन के प्रसंस्करण के दौरान, आईआरडीएआई प्रश्न उठाता है, यदि आवश्यक हो तो स्पष्टीकरणों/ दस्तावेजों की माँग करता है। संबंधित विभागों के द्वारा जाँच सहित, आवेदक के द्वारा किये गये आवेदन और प्रस्तुतीकरणों की जाँच सभी दृष्टिकोणों से की जाती है। विभिन्न विभागों से संतोषजनक टिप्पणियाँ प्राप्त होने के बाद, आर-2 आवेदन अनुमोदन के लिए बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

  1. बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त होने पर, आवेदक को आर-2 मंजूरी पत्र अन्य विभागों द्वारा निर्धारित शर्तों, यदि कोई हों, सहित जारी किया जाता है तथा तदनुसार पंजीकरण प्रमाणपत्र (आर3) के निर्गम के लिए अपना अनुपालन करने के लिए उन्हें सूचित किया जाता है।

आर3 स्तरः

  1. आवेदक तब आर-2 की शर्तो के अनुपालन के लिए अपने प्रस्तुतीकरण करता है तथा पंजीकरण प्रमाणपत्र आर-3 (सीओआर) के निर्गम के लिए अनुरोध करता है।
  2. आईआरडीएआई निम्नलिखित के साथ आर-3 अनुरोध की जाँच करता है कि-
  • आवेदक पात्र है, तथा उनकी राय में अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित अपने दायित्व प्रभावी ढंग से पूरा कर सकता है;
  • आवेदक के प्रवर्तकों, विदेशी निवेशकों की वित्तीय स्थिति और आवेदक के प्रबंधन का सामान्य स्वरूप सुदृढ़ है;
  • व्यवसाय की मात्रा उपलब्ध होने की संभावना है तथा आवेदक का पूँजी विन्यास और अर्जन की संभावनाएँ पर्याप्त होंगी;
  • आवेदन में विनिर्दिष्ट बीमा व्यवसाय की श्रेणी के संबंध में यदि आवेदक को प्रमाणपत्र जारी किया जाता है तो जनसाधारण के हितों के लिए लाभदायक होगा; तथा
  • आवेदक ने अधिनियम की धाराओँ 2सी, 5, 31ए और 32ए के उपबंधों का अनुपालन किया है और अपने लिए लागू इन धाराओं की सभी अपेक्षाओं को पूरा किया है। आवेदक को व्यवसाय की जिस श्रेणी के लिए उपयुक्त पाया गया है उसके लिए बीमाकर्ता के रूप में उसे पंजीकृत किया जा सकता है तथा फार्म आईआरडीएआई/आर3 में प्रमाणपत्र आवेदक को प्रदान किया जा सकता है। परंतु यह शर्त होगी कि प्राधिकरण पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान करते समय उपयुक्त समझी जानेवाली शर्तें लागू कर सकता है। आवेदक उन शर्तों के द्वारा आबद्ध होगा जिनके अधीन फार्म आईआरडीएआई/आर3 में प्रमाणपत्र जारी की जाती है।

  1. आईआरडीएआई जाँच करता है कि क्या आर-3 स्तर पर प्रस्तुतीकरकण संतोषजनक हैं तथा नियमानुसार हैं एवं संतुष्ट होने के उपरांत पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) जारी करता है। ध्यान दिया जाए कि पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अध्यक्ष सशक्त है तथा मामला अनुमोदन के लिए बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
  2. सीईओ की नियुक्ति / पारिश्रमिक के लिए आवेदन का प्रसंस्करण करते समय यदि सीईओ (पदनामित) के संबंध में समुचित सावधानी लंबित है तो इसपर कारपोरेट अभिशासन दिशानिर्देश, 2016 के अनुसार अलग से कार्रवाई की जानी चाहिए।

यद्यपि उपर्युक्त उपबंध स्थूल स्वरूप के हैं, तथापि आईआरडीएआई इन अपेक्षाओं में से किसी से भी संबंधित विशिष्ट विषय को उठा सकता है और कोई भी पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने से पहले प्राधिकरण आवेदनों की जाँच व्यापक तौर पर करता है।