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बीमा बाजार की कार्यप्रणाली से संबंध रखनेवाली अन्य नीतियाँ और कार्यक्रम
धन-शोधन निवारण/ आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने का (एएमएल/सीएफटी) कार्यक्रम एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देश
धन-शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और उसके अधीन बनाये गये नियमों के द्वारा सशक्त किये जाने पर उक्त एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देश (दिशानिर्देश) बीमा क्षेत्र को सर्वप्रथम मार्च 2006 में जारी किये गये थे। तब से बीमा क्षेत्र भारत में प्रभावी एएमएल/ सीएफटी व्यवस्था की दिशा में कार्य कर रहा है। उक्त दिशानिर्देश पीएमएलए के अंतर्गत की गई अपेक्षा के अनुसार ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी प्रक्रियाओं, रिपोर्टिंग दायित्वों और अभिलेख रखने की अपेक्षाओं के महत्व पर बल देते हैं।
बीमाकर्ताओं ने लेखा-परीक्षा समिति के माध्यम से अपने बोर्ड के व्यापक पर्यवेक्षण के अंतर्गत विभिन्न अपेक्षाओं के कार्यान्वयन के प्रति प्रणालियाँ और प्रक्रियाएँ निर्धारित की हैं। बीमाकर्ता की आंतरिक लेखा-परीक्षा/ निरीक्षण विभागों के माध्यम से उक्त प्रणालियों की प्रभावात्मकता की नियमित समीक्षा विद्यमान है। उक्त दिशानिर्देशों के अनुपालन की निगरानी भी आईआरडीएआई द्वारा दोनों प्रत्यक्ष (आनसाइट) और परोक्ष (आफ़साइट) प्रक्रियाओं के द्वारा की जाती है।
साधारण बीमाकर्ताओं के लिए प्रयोज्य रूप में एएमएल/ सीएफटी रूपरेखा की विभिन्न शर्तों/ अपेक्षाओं पर एक समेकित परिपत्र फरवरी 2013 में जारी किया गया। इस परिपत्र के माध्यम से बीमाकर्ताओं को प्रत्येक उत्पाद के प्रोफाइल के अपने जोखिम निर्धारण के आधार पर उक्त एएमएल/सीएफटी अपेक्षाएँ लागू करने के लिए सूचित किया गया है।
2013 में केन्द्र सरकार द्वारा पीएमएल (अभिलेखों का अनुरक्षण) नियम, 2005 के संशोधन के अनुसरण में जीवन बीमाकर्ताओं के लिए 2010 में जारी किये गये एएमएल/ सीएफटी संबंधी आईआरडीएआई मास्टर परिपत्र में उक्त संशोधनों के अनुरूप परिशोधन किया गया। परिशोधित मास्टर परिपत्र 28 सितंबर 2015 को जारी किया गया।
आईआरडीएआई भारत में एएमएल/सीएफटी व्यवस्था के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में विभिन्न एजेंसियों/ विभागों के साथ सक्रिय समन्वय में है तथा यह राजस्व विभाग द्वारा गठित एएमएल/सीएफटी संबंधी राष्ट्रीय जोखिम निर्धारण (एनआरए) के लिए कार्य-दल का भाग है। आईआरडीएआई एफएटीएफ की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए आर्थिक कार्य विभाग (एफएटीएफ कक्ष) द्वारा गठित कोर कार्य-दल का भी भाग है।
इसके अतिरिक्त, आईआरडीएआई धन-शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने संबंधी यूरेशियाई समूह (ईएजी), एक एफएटीएफ पद्धति का क्षेत्रीय निकाय, के साथ भी सक्रिय रूप से संबद्ध है।
राजस्व विभाग ने एक अंतर-मंत्रालयीन समन्वय समिति (आईएमसीसी) का और तदुपरांत संयुक्त कार्य-दल का गठन किया है जिसका आईआरडीएआई एक सदस्य है। उपर्युक्त समितियों/ कार्य-दल का मुख्य उद्देश्य धन-शोधन निवारण अथवा आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने संबंधी विधियों, विनियमों और दिशानिर्देशों के विषय में सरकार, विधि प्रवर्तन एजेंसियों, एफआईयू-आईएनडी और विनियमनकर्ताओं के बीच सहयोग करना/परामर्श करना/विकास करना/तत्संबंधी अपेक्षाओं का कार्यान्वयन करना है। आईआरडीएआई संबंधित मंत्रालय को प्रयोज्य एफएटीएफ सिफारिशों के संदर्भ में बीमा क्षेत्र की तैयारी की सूचना दे रहा है।
केन्द्रीय केवाईसी अभिलेख रजिस्ट्री का परिचालन
ग्राहक द्वारा कोई वित्तीय उत्पाद/सेवा प्राप्त करने के प्रत्येक समय बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा केवाईसी कार्रवाई करने की बहुलता से बचने के लिए ग्राहकों की केवाईसी संबंधी सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु माननीय वित्त मंत्री ने केन्द्रीय बजट 2012-13 में घोषणा की कि एक केन्द्रीय अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निक्षेपागार (डिपोजिटरी) विकसित किया जाएगा जिससे केवाईसी डेटा की बहुलता से बचा जा सके।
पीएमएल (अभिलेखों का अनुरक्षण) नियम, 2005 के 2015 संशोधन के अनुसार, प्रत्येक रिपोर्टिंग संस्था ग्राहक आधारित संबंध स्थापित करने के 10 दिन के अंदर ग्राहक के केवाईसी अभिलेखों की इलेक्ट्रानिक प्रति केन्द्रीय केवाईसी अभिलेख रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) के पास फाइल करेगी।
आईआरडीएआई ने परिपत्र दिनांक 12 जुलाई 2016 के अनुसार बीमाकर्ताओं को वैयक्तिक पालिसीधारकों के केवाईसी अभिलेख केन्द्रीय केवाईसी रजिस्ट्री को अपलोड करने के लिए सूचित किया। तदुपरांत, वर्तमान पीएमएल नियमों का अनुपालन करने के लिए, आईआरडीएआई ने परिपत्र दिनांक 22 जनवरी 2021 के द्वारा बीमाकर्ताओं को सूचित किया किः
- विधिक संस्थाओं (एलई) के केवाईसी अभिलेख सीकेवाईसीआर को 01 अप्रैल 2021 को या उसके बाद अपलोड करें।
- एक बार सीकेवाईसीआर द्वारा उत्पन्न/आबंटित किये जाने पर एक गोपनीय तरीके से संबंधित पालिसीधारक को केवाईसी अभिनिर्धारक (आईडेन्टीफायर) की सूचना दें।
- वर्तमान केवाईसी अभिलेखों को आवधिक तौर पर अद्यतन करें।
ई-केवाईसी के लिए दिशानिर्देश
आईआरडीएआई ने 29 जनवरी 2019 को एक परिपत्र बीमाकर्ताओं को यह सूचित करते हुए जारी किया है कि वे केवाईसी के भाग के रूप में प्रस्तावक/पालिसीधारक से आधार और फार्म/60 की अनिवार्य रूप से माँग न करें। तथापि, बीमाकर्ता कुछ शर्तों के अधीन केवाईसी के प्रयोजन के लिए प्रस्तावक/पालिसीधारक की पहचान और/या पते को प्रमाणित करने के लिए एक दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को स्वीकार कर सकते हैं।
इस संबंध में, राजस्व विभाग/ वित्त मंत्रालय ने 13 फरवरी 2019 को “धन-शोधन निवारण (अभिलेखों का अनुरक्षण) संशोधन नियम, 2019” अधिसूचित किये हैं। उसके बाद, विधि और न्याय मंत्रालय ने 24 जुलाई 2019 को “आधार और अन्य विधियाँ (संशोधन) अधिनियम, 2019” अधिसूचित किया है जिसके द्वारा केवल बैंकिंग कंपनियों और टेलीकाम उद्योगों के द्वारा आधार का आनलाइन प्रमाणीकरण तथा आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधायों और सेवायों का लक्षित परिदान) अधिनियम, 2016 के अधीन बीमाकर्ताओं के लिए आफ़लाइन सत्यापन की अनुमति दी गई है। इस अधिनियम ने यह भी विनिर्दिष्ट किया है कि बीमाकर्ताओं को आईआरडीएआई और यूआईडीएआई की सिफारिश पर केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना के अधीन आनलाइन अधिप्रमाणन करने के लिए अनुमति दी जाएगी।
तदनुसार, पीएमएल अधिनियम, 2002 की धारा 11क के अंतर्गत यूआईडीएआई की आधार अधिप्रमाणन सेवा करने के लिए 23 अप्रैल 2020 को 29 बीमाकर्ताओं तथा 19 अगस्त 2020 को 24 बीमाकर्ताओं को अधिसूचित किया गया।
विभिन्न इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्मों का उन्नयन करने के द्वारा केवाईसी की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए आईआरडीएआई ने “वीडियो आधारित पहचान प्रक्रिया” पर परिपत्र दिनांक 18 सितंबर 2020 जारी किया।