प्रवर्तन

FAQs

निरीक्षण विभाग लाइसेंस प्राप्त संस्थाओं का कार्यस्थल-निरीक्षण करता है। निरीक्षण रिपोर्ट के साथ, निरीक्षण के अवलोकनों पर निरीक्षित संस्थान के उत्तर विनियामक कार्रवाही के लिए प्रवर्तन विभाग को सौंप दिये जाते हैं। इसी स्तर पर प्रवर्तन विभाग की भूमिका आरंभ होती है !प्रवर्तन विभाग   निरीक्षण रिपोर्ट, संस्थान के उत्तर, रिकार्ड में उपलब्ध प्रमाणों इत्यादि का वस्तुनिष्ठ अध्ययन करता है। विनियामक कार्यवाही के कई चरण हैं जैसे कारण बताओ नोटिस, इत्यादि, देखे गये उल्लंघनों की गंभीरता के आधार पर इसका अंत, वित्तीय-दण्ड लगाते हुए अंतिम  के आदेश या चेतावनी या निर्देश जारी करने इत्यादि में होता है।अंतिम आदेश जारी करना निरीक्षण रिपोर्ट के निपटान का अंतिम चरण है। यहाँ आकर प्रवर्तन विभाग की भूमिका समाप्त होती है।

जहाँ भी आवश्यक हो, निरीक्षित संस्था से और स्पष्टीकरण माँगा जाता है, उसके पश्चात् उल्लंघन की गंभीरता के आधार पर यदि आवश्यक हो तो, एक कारण बताओं नोटिस जारी किया जाता है, और तब, निरीक्षित संस्था यदि माँग करती है, तो व्यक्तिगत सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाता है। व्यक्तिगत सुनवाई के बाद प्राधिकरण द्वारा अंतिम आदेश दिया जाता है।

प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये आदेशों का विवरण (वर्ष के अनुसार और तब लाइसेंसधारी संस्थाओं के अनुसार) हमारे वेबसाइट www.irda.gov.in के होम पेज पर warnings/penalties लिंक के अन्तर्गत सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।

बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के आधार पर।

अधिरोपित अर्थदंडों का विवरण! वार्षिक रिपोर्ट में उपलब्ध है और वार्षिक रिपोर्ट की साफ्ट प्रति हमारे वेबसाइट पर उपलब्ध है। पूर्ण आदेश लिंक warnings/penalties के तहत हमारे वेबसाइट www.irda.gov.in के होम पृष्ठ पर उपलब्ध है।