निरीक्षण

पर्यवेक्षण विभाग के कार्य एवं उत्तरदायित्व

  1. प्राधिकरण को आईआरडीएआई अधिनियम, 1999 की धारा 14(2)(एच) से निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त हैं:
    • जानकारी के लिए कॉल
    • उपक्रम निरीक्षण
    • बीमा कारोबार से जुड़े बीमाकर्ताओं, बिचौलियों, बीमा मध्यस्थों और अन्य संगठनों की लेखा परीक्षा सहित पूछताछ और जांच करना।
  2. बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 33 प्राधिकरण को किसी बीमाकर्ता या मध्यस्थ या बीमा मध्यस्थ के मामलों की जांच के लिए 'जांच अधिकारी' नियुक्त करने का अधिकार देती है। जांच अधिकारी धारा 33 के तहत किसी भी जांच में उसकी सहायता करने के उद्देश्य से किसी भी लेखा परीक्षक या बीमांकक या दोनों को नियुक्त कर सकता है।
  3. निरीक्षण विभाग प्राधिकरण द्वारा जारी विभिन्न नियमों और अन्य निर्देशों और अन्य लागू कानूनी प्रावधानों के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए बीमा व्यवसाय से जुड़े बीमाकर्ताओं, मध्यस्थों, बीमा मध्यस्थों और अन्य संगठनों का ऑनसाइट निरीक्षण/जांच करता है।
  4. निरीक्षण विभाग के कार्यों में मोटे तौर पर निम्नलिखित शामिल हैं:
    • वार्षिक निरीक्षण योजना का निर्माण और उसका निष्पादन
    • ऑनसाइट निरीक्षण के लिए टीमों का गठन
    • निरीक्षण के लिए इकाई से आवश्यक जानकारी मांगना
    • ऑनसाइट निरीक्षण करना
    • विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करना और प्रस्तुत करना
    • निरीक्षण रिपोर्ट को उनकी प्रतिक्रिया के लिए निरीक्षण की गई संस्थाओं को अग्रेषित करना
    • आवश्यक कार्रवाई के लिए प्राधिकरण के 'प्रवर्तन विभाग' को निरीक्षण विभाग के विश्लेषण के साथ निरीक्षण रिपोर्ट और निरीक्षण संस्थाओं से प्राप्त प्रतिक्रिया को अग्रेषित करना।
  5. उपरोक्त के अलावा, निरीक्षण विभाग के कार्यों में निम्नलिखित भी शामिल हैं:
    • प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट के लिए इनपुट प्रदान करना
    • जहां आवश्यक हो अन्य विभागों को इनपुट प्रदान करना
    • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्राप्त आवेदनों की जानकारी उपलब्ध कराना
    • प्राधिकरण की बैठकों, अन्य बैठकों के लिए इनपुट।
    • अन्य संबंधित कार्य