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सं. आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/303/12/2021
पालिसी एक्स.काम इंश्योरेंस वेब एग्रेगेटर्स प्रा. लि.
के मामले में अंतिम आदेश
कारण बताओ नोटिस दिनांक 06.05.2021 के लिए मेसर्स पालिसी एक्स.काम इंश्योरेंस वेब एग्रेगेटर्स प्रा. लि. के उत्तर दिनांक 27.05.2021 एवं सदस्य (वितरण) की अध्यक्षता में 23 जुलाई 2021 को अपराह्न 12.00 (वीडियो कान्फरेन्सिंग के माध्यम से) आयोजित प्रस्तुतीकरणों के आधार पर
पृष्ठभूमिः
- भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (प्राधिकरण) ने 01.06.2020 से 05.06.2020 तक की अवधि के दौरान पालिसी एक्स.काम इंश्योरेंस वेब एग्रिगेटर्स प्रा. लि. (वेब संग्राहक अथवा डब्ल्यूए) का निरीक्षण उक्त वेब संग्राहक द्वारा समग्र विनियामक अनुपालन की जाँच करने के लिए संचालित किया था। निरीक्षण के निष्कर्ष वेब संग्राहक को उनकी टिप्पणियों के लिए 28.08.2020 को सूचित किये गये थे तथा वेब संग्राहक का उत्तर उनके पत्र दिनांक 15.09.2020 के द्वारा प्राप्त किया गया था। कारण बताओ नोटिस वेब संग्राहक को 06.05.2021 को जारी किया गया जिसके लिए वेब संग्राहक ने अपने ई-मेल दिनांक 27.05.2021 के द्वारा उत्तर प्रस्तुत किया। अपने उत्तर में वेब संग्राहक ने एक सुनवाई के लिए अनुरोध किया। तदनुसार, वेब संग्राह की उक्त सुनवाई 23.07.2021 को वीडियो कान्फरेन्सिंग के माध्यम से आयोजित किया गया।
वेब संग्राहक की ओर से उक्त सुनवाई में श्री नवल गोयल, प्रधान अधिकारी, सुश्री शिखा ग्रोवर और सुश्री रश्मि अग्रवाल उपस्थित थे। प्राधिकरण से श्री रणदीप सिंह जगपाल, मुख्य महाप्रबंधक (मध्यवर्ती), श्री पी. के. मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन) और श्री विकास जैन, सहायक महाप्रबंधक (प्रवर्तन) उपस्थित रहे।
आरोप, उनके लिए उत्तर और निर्णयः
- आरोप 1:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी के पैरा 9(ग) का उल्लंघन।
वेब संग्राहक यह सुनिश्चित नहीं कर रहा था कि उत्पन्न की गई अग्रताएँ उनको उत्पन्न करने से तीन महीने के अंदर पूरी की जाएँ और तब भी वेब संग्राहक को संबंधित बीमाकर्ता से पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। यह पाया गया कि ऐसे 12,263 मामले हैं जहाँ वेब संग्राहक ने अग्रता उत्पादन की तारीख से तीन महीने के बाद बीमा उत्पाद के विक्रय के लिए कमीशन प्राप्त किया। इसका सत्यापन वेब संग्राहक की अग्रता प्रबंध प्रणाली से किया गया।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि समय-समय पर ग्राहक साइट पर पुनः विजिट करते हैं और सहायता की अपेक्षा करते हैं। एलएमएस में दर्ज किया गया अग्रता समय सामान्यतः विजिट की पहली तारीख है और उसके बाद उसी अग्रता को एक पुनरागमन (रीविजिट) समय की मुहर के साथ अद्यतन किया जाता है। ऐसे मामलों में, जब पहले विजिट से विक्रय के समापन तक की अवधि को देखा जाता है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि ग्राहक ने 3 महीने से अधिक समय पहले विजिट किया है, परंतु वास्तव में वह वही अग्रता है जो ग्राहक द्वारा पुनः विजिट करने पर पुनः खोली गई है। यदि कोई ग्राहक उनके पास पुनः विजिट करता है, तो वे उनकी सहायता करते हैं और उत्पाद की खरीद करने में उन्हें मदद पहुँचाते हैं। ऐसी पालिसियाँ उनके कूट के अंतर्गत दर्ज की जाती हैं और इस कारण से ऐसी बिक्रियों के लिए पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं। एक वर्ष से अधिक समय के मामलों के लिए, वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि ये नवीकरण के मामले हैं जहाँ नवीकरण के समय पालिसी को उसी अग्रता के लिए अंकित (टैग) किया जाएगा क्योंकि ग्राहक नवीकरण के समय एक नई अग्रता निर्मित करने के लिए उनके पोर्टल में पुनः विजिट नहीं करता। वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि 12263 मामलों में से 11021 नवीकरण मामले थे जहाँ पालिसी का नवीकरण उनके पास 1 वर्ष के बाद किया गया। ऐसे मामलों में अग्रताएँ निर्मित नहीं की जातीं, क्योंकि ग्राहक पोर्टल में पुनः विजिट नहीं करता तथा डेटाबेस में रखी गई अग्रता पहली पालिसी के निर्गम पर निर्मित अग्रता है। शेष 1242 मामले ऐसे हैं जहाँ ग्राहक ने विक्रय को समाप्त करने के बाद 90 दिन के अंदर विजिट किया था।
- निर्णयः
वैयक्तिक सुनवाई के बाद, वेब संग्राहक ने यह दर्शाने के प्रयास में संशोधित अग्रता संख्याएँ और अग्रता उत्पादन तारीखें प्रस्तुत कीं, कि सभी अग्रताएँ अपेक्षा (सलिसिटेशन) के 90 दिन के अंदर उत्पन्न की गई हैं। तथापि, मूल अग्रता उत्पादन तारीखें जो निरीक्षण के दौरान उपलब्ध कराई गई थीं और उनकी अग्रता प्रबंध प्रणाली से अधिप्रमाणित की गई थीं, वैयक्तिक सुनवाई के बाद प्रस्तुत की गई तारीखों से भिन्न थीं। वैयक्तिक सुनवाई के बाद प्रस्तुत किया गया संशोधित डेटा तब तक तर्कसंगत नहीं है, जब तक इसका अधिप्रमाणन उनकी अग्रता प्रबंध प्रणाली में दर्ज डेटा से नहीं किया जाता तथा इस बात की गुंजाइश है कि इसे बाद का विचार समझा जाए और यह गढ़ा हुआ है। वेब संग्राहक यह नहीं दर्शा सका कि ग्राहकों ने उनके पोर्टल में पुनः विजिट किया था और एक नई अग्रता उत्पन्न की गई थी तथा पालिसी का निर्गम 3 महीने के अंदर पूरा किया गया था। वेब संग्राहक को इस चूक के लिए चेतावनी दी जाती है तथा आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी के अंतर्गत पैरा 9(ग) का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निदेश दिया जाता है।
- आरोप 2:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी के पैरा 11(i) का उल्लंघन।
यह पाया गया कि वेब संग्राहक ने एक जीवन बीमा पालिसी का स्रोतीकरण किया जिसमें वार्षिक प्रीमियम रु. 3,00,012/- (रु. 25001/- मासिक प्रीमियम X 12) था तथा जो रु. 1,50,000/- की सीमा से अधिक है।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि बीमाकर्ता द्वारा जारी की गई पालिसी सं. 31676302 के इस एकल मामले में निम्नलिखित कारण की वजह से एक विशिष्ट स्थिति थी, पालिसी को दर्ज करने के बाद प्रीमियम में वृद्धि की गई। एजेंट ने इस पालिसी का स्रोतीकरण 44 वर्ष की अवधि के लिए लगभग रु. 62,156/- के वार्षिक प्रीमियम के लिए किया। बाद में, ग्राहक ने एक सीमित भुगतान विकल्प के लिए चयन किया, जिसके अंतर्गत उसने एक 5 भुगतान योजना के लिए विकल्प दिया जिसके कारण प्रीमियम रु. 5000/- से 17000/- प्रति माह तक बढ़ गया। तदुपरांत इसी ग्राहक को एक प्रति प्रस्ताव (काउंटर आफ़र) दिया गया जिसके कारण प्रीमियम आगे रु. 25000/- प्रति माह तक और बढ़ गया।
अतः प्रारंभिक बुकिंग के समय इस संबंध में उन्होंने किसी विनियम का उल्लंघन नहीं किया था, परंतु पालिसी में बाद में किये गये परिवर्तनों ने प्रीमियम को इस सीमा तक बढ़ा दिया कि वह रु. 1.5 लाख की सीमा को पार कर गई तथा यह ग्राहक के लिए अत्यधिक असुविधाजनक होता यदि वे प्रीमियम में इस वृद्धि के बाद पालिसी को निरस्त कर देते।
- निर्णयः
वैयक्तिक सुनवाई के बाद किये गये प्रस्तुतीकरण से यह स्पष्ट है कि वेब संग्राहक ने एक ई-मेल दिनांक 03 दिसंबर 2018 के द्वारा दोनों नियमित और सीमित प्रीमियम विकल्पों के लिए कोटेशन प्रस्तुत किये थे। अतः वेब संग्राहक उक्त अननुपालन के लिए अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। वेब संग्राहक को उक्त चूक के लिए चेतावनी दी जाती है तथा आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी के पैरा 11(i) का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करने का निदेश दिया जाता है।
- आरोप 3:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 22(क) की टिप्पणी 2 के उपबंधों का उल्लंघन।
वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए वेब संग्राहक के लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरणों से यह पाया गया कि बीमाकर्ताओं और बीमाकर्ता के समूह विशेष की कंपनियों से प्राप्त समस्त आय का ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए एक अनुसूची वेब संग्राहक द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई। इन वर्षों के दौरान, सेवा लेज़र में सूचित किये गये रूप में वेब संग्राहक ने कमीशन, उत्पाद प्रदर्शन शुल्क, प्रतिफल (रिवार्ड) प्राप्त किये थे। तथापि, वित्तीय विवरणों में इन प्राप्तियों को दर्शानेवाली कोई अनुसूची सूचित नहीं की गई थी। इस प्रकार, वेब संग्राहक ने वित्तीय विवरण आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के अनुरूप तैयार नहीं किये थे।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि लेखा-परीक्षक ने आईआरडीएआई, सीबीडीटी और आरओसी जैसे सभी प्राधिकरणों के पहलुओँ को ध्यान में रखते हुए वित्तीय विवरण तैयार किये थे तथा उनके स्तर पर जानकारी के अभाव में इस विशिष्ट अनुपालन के संबंध में वे चूक गये और इस त्रुटि के लिए उन्होंने क्षमायाचना की।
- निर्णयः
वेब संग्राहक को इस विचलन के लिए चेतावनी दी जाती है तथा भविष्य में आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 22(क) का अनुपालन अनिवार्यतः सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया जाता है।
- आरोप 4:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 26 की अनुसूची IV के फार्म क्यू के अंतर्गत खंड (ग) का उल्लंघन।
वेब संग्राहक ने वेबसाइट अर्थात् www.PolicyX.com के होम पेज के अपने अनुच्छेद (आर्टिकल) अंश में संवर्धनात्मक (प्रमोशनल) सामग्री पोस्ट की थी तथा 2 बीमा कंपनियों के बारे में प्रचार करने हेतु, इन दो बीमाकर्ताओं के उत्पाद खरीदने के लिए ग्राहकों को प्रभावित करते हुए ऐसा किया था।
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 निर्धारित करता है कि वेब संग्राहक अपनी वेबसाइटों में अपने संपादकीयों अथवा किसी भी अन्य स्थान पर बीमाकर्ताओं या उनके उत्पादों पर टिप्पणी करने से बचेंगे। तथापि, प्रस्तुत मामले में वेब संग्राहक ने इसका पालन नहीं किया है। अपनी वेबसाइट पर इस प्रकार की संवर्धनात्मक सामग्री रखने के द्वारा वेब संग्राहक अपनी वेबसाइट को विजिट करनेवाले ग्राहकों के निर्णय को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है तथा इस प्रकार वेब संग्राहक ने कुछ बीमाकर्ताओं के प्रति पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण रखते हुए वेब संग्राहक के रूप में अपने कार्य को पूरा नहीं किया है।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए आत्यंतिक सावधानी बरतते हैं कि उनकी वेबसाइट में प्रस्तुत किये गये सभी तथ्य बीमा कंपनियो की वेबसाइटों से ली जाएँ तथा वे 100% सही हों। उन्होंने आगे प्रस्तुतीकरण किया कि इन दो (2) विशिष्ट मामलों में उन्होंने सीधे बीमाकर्ता की वेबसाइट से डेटा ग्रहण किया था। यहाँ मकसद किसी बीमा कंपनी के संबंध में संवर्धन अथवा टिप्पणी करना नहीं था, तथा वे तटस्थ और पक्षपातरहित होने की आवश्यकता को समझते हैं ताकि एक तथ्य-आधारित निर्णय लेने में ग्राहकों की सहायता की जा सके। उन्होंने यह भी प्रस्तुतीकरण किया कि उन्होंने अब अपनी वेबसाइट से इसे हटा दिया है।
- निर्णयः
वेब संग्राहक से अपेक्षित है कि वह किसी विशिष्ट बीमाकर्ता की तरफदारी किये बिना और ग्राहक के निर्णय को प्रभावित किये बिना अपनी वेबसाइट पर उत्पादों की तुलना उपलब्ध कराए। परंतु निरीक्षण टिप्पणी के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि वेब संग्राहक का वेब पेज अपने वेब पेज पर चयनित बीमा कंपनियों का प्रचार कर रहा था तथा उन बीमा कंपनियों के पक्ष में ग्राहक के निर्णय को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा था। इस प्रकार, वेब संग्राहक ने आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 26 की अनुसूची IV के फार्म क्यू के खंड (ग) का अनुपालन नहीं किया। वेब संग्राहक को ऐसे विचलनों के लिए चेतावनी दी जाती है। भविष्य में ऐसे किसी विचलन के प्रति गंभीर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
- आरोप 5:
आईआऱडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीएआई/आईएनटी/सीआईआर/सीबीडी/197/08/2017 दिनांकित 24 अगस्त 2017 का उल्लंघन।
वेब संग्राहक आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीएआई/आईएनटी/सीआईआर/सीबीडी/197/ 08/2017 दिनांक 24 अगस्त 2017 द्वारा की गई अपेक्षानुसार भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबीआई) के डेटा बेस पर प्राधिकृत सत्यापकों की सूची को अद्यतन नहीं कर रहा था।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि इस प्रकार के विनियामक दिशानिर्देशों और परिपत्र के बारे में वे अनभिज्ञ थे तथा उपर्युक्त अपेक्षा के बारे में निरीक्षण के समय उन्हें इसकी जानकारी मिली और उन्होंने प्राधिकृत सत्यापकों से संबंधित डेटा को भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबीआई) के डेटाबेस पर अपलोड करना प्रारंभ किया है। प्राधिकृत सत्यापकों की नियमित अद्यतन की गई सूची समयबद्ध तरीके से प्राधिकरण को विधिवत् प्रस्तुत किया जा रहा है।
- निर्णयः
वेब संग्राहक को आईआरडीएआई परिपत्र का अनुपालन न करने के लिए चेतावनी दी जाती है तथा भविष्य में उक्त अनुपालन अनिवार्यतः सुनिश्चित करने के लिए सूचित किया जाता है। इस प्रकार की चूक की किसी भी पुनरावृत्ति को गंभीरतापूर्वक देखा जाएगा।
- आरोप 6:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 18 का उल्लंघन।
यह पाया गया किः
- वेब संग्राहक ने प्राधिकरण द्वारा उन्हें प्रदान किये गये पंजीकरण प्रमाणपत्र की विधिमान्यता की समूची अवधि के दौरान एक व्यावसायिक क्षतिपूर्ति बीमा कवर अनुरक्षित नहीं किया।
- 17-18, 18-19 और 19-20 की अवधियों के लिए पालिसियों के लिए वास्तविक बीमित राशि विनियम के अंतर्गत अपेक्षित सीमा से कम हैं।
- यह भी पाया गया कि पालिसी के अंतर्गत कवरेज विनियम के अंतर्गत परिकल्पित रूप में नहीं है।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि प्रथम दो वर्षों के दौरान व्यावसायिक क्षतिपूर्ति बीमा, वास्तविक कवरेज के संबंध में ऐसे बीमा उत्पादों की जानकारी के अभाव में किसी प्रकार से नहीं हो पाया है तथा वे इस धारणा में थे कि पालिसी प्राधिकरण द्वारा अपेक्षित प्रत्येक आवश्यकता को कवर करती है तथा उन्होंने प्राधिकरण द्वारा अपेक्षित सभी जोखिम शामिल करने के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव की तारीख 14.11.2019 के साथ पिछली पालिसी में परिवर्तन के लिए तत्काल आवेदन प्रस्तुत किया था।
- निर्णयः
वेब संग्राहक को उक्त चूक के लिए चेतावनी दी जाती है तथा इसके अलावा उक्त विनियमों के अंतर्गत विनिर्दिष्ट रूप में अनिवार्यतः उपयुक्त बीमित राशि और कवरेजों के साथ व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी रखने के लिए निदेश दिया जाता है। भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विचलन को गंभीरतापूर्वक देखा जाएगा।
- आरोप 7:
आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 20 के अनुसार अनुसूची III के फार्म एल के खंड 2(ग) एवं आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 20 के अनुसार अनुसूची III के फार्म एल के खंड 1(क) और 1(ग) का उल्लंघन।
वेब संग्राहक निरीक्षण टीम को 3 बीमा कंपनियों के साथ किये गये करारों की प्रतियाँ प्रस्तुत नहीं कर सका तथा उसने बीमाकर्ताओँ के साथ व्यपगत करारों के बारे में प्राधिकरण को सूचित नहीं किया।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि उन्होंने 24+ बीमाकर्ताओं के साथ करार किये थे तथा निरीक्षण के समय इन्हें प्रस्तुत भी किया था। तथापि, एक विशिष्ट उदाहरण में निरीक्षण के समय करार का पता नहीं लगाया जा सका तथा वे लाकडाउन के कारण अपने एक कार्यालय में नहीं जा सके। करारों के समापन के संबंध में वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि बीमा कंपनियों के साथ किये गये ये करार एक नियत समयावधि के लिए थे और इस कारण से वे उपर्युक्त अवधि के बाद समाप्त हो गये थे जब तक कि वे एक नये करार के साथ उनका नवीकरण नहीं कर लेते। चूँकि करार करते समय उन्होंने प्राधिकरण को उसकी प्रति प्रस्तुत की थी, इसलिए वे इस धारणा में थे कि यथासमय उस करार के समाप्त होने के समय उनके लिए प्राधिकरण को सूचित करने की आवश्यकता नहीं है।
- निर्णयः
वेब संग्राहक के प्रस्तुतीकरण पर ध्यान दिया गया है तथा उक्त आरोप पर बल नहीं दिया जा रहा है।
- आरोप 8:
आईआरडीए (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2013 के पैरा 6(क) और 6(ख) तथा आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के अनुसार अनुसूची VI के फार्म टी के खंड 4(क) और 4(ग) का उल्लंघन।
यह पाया गया कि ऐसे कई उदाहरण थे, जहाँ अपेक्षा (सलिसिटेशन) की प्रक्रिया में लगे हुए व्यक्तियों के पास आवश्यक अर्हताएँ और प्रशिक्षण नहीं था। प्रस्तुत किये गये डेटा के अनुसार प्रत्येक प्राधिकृत सत्यापक के लिए पालिसी निर्गम की तारीख का मिलान प्राधिकृत सत्यापक के वास्तविक प्रमाणपत्र के अनुसार उत्तीर्ण परीक्षा और प्रशिक्षण समापन की तारीख के साथ किया गया।
ऐसे अनेक मामले पाये गये जहाँ प्राधिकृत सत्यापक ने बीमा पालिसियों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) के समय परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी, परंतु किसी बाद की तारीख को उत्तीर्ण की थी तथा ऐसे भी कई मामले थे जहाँ अपेक्षा (सलिसिटेशन) की प्रक्रिया में लगे हुए व्यक्तियों ने केवल प्रशिक्षण पूरा कर लिया था, परंतु परीक्षा कभी नहीं उत्तीर्ण की थी। इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत सत्यापक के नाम और पालिसी निर्गम की तारीख/ अग्रता की तारीख का प्रति-सत्यापन (क्रास-वेरीफिकेशन) करने के लिए नमूना पालिसियों का परीक्षण वेब संग्राहक की अग्रता प्रबंध प्रणाली में किया गया। इससे ऐसे व्यक्तियों की संबद्धताओँ की पुष्टि हुई जिन्होंने परीक्षा कभी उत्तीर्ण नहीं की थी और उक्त परीक्षा बाद में भी उत्तीर्ण नहीं की थी।
इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकलता है कि वेब संग्राहक ने ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त किया जिन्होंने व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) के प्रयोजन के लिए प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया अथवा परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी। वेब संग्राहक ने स्वीकार किया कि वह अर्हताप्राप्त और प्रशिक्षित व्यक्तियों के बिना बीमा व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) 2017 विनियमों की अधिसूचना से काफी पहले से ही करता रहा है। जबकि आईआरडीए (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2013 का पैरा 6 स्पष्ट रूप से कहता है कि “बीमा की अपेक्षा (सलिसिटेशन) और सत्यापन में नियुक्त वेब संग्राहक के कर्मचारियों को चाहिए कि वे समय-समय पर प्राधिकरण द्वारा मान्यताप्राप्त संस्थान से पचास घंटे का बीमा संबंधी सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त हों एवं उपर्युक्त प्रशिक्षण की अवधि के अंत में राष्ट्रीय बीमा अकादमी, पुणे अथवा प्राधिकरण द्वारा मान्यताप्राप्त किसी अन्य परीक्षा निकाय द्वारा संचालित परीक्षा उत्तीर्ण हों”।
- वेब संग्राहक का प्रस्तुतीकरणः
वेब संग्राहक ने प्रस्तुतीकरण किया कि प्राधिकृत सत्यापकों से संबंधित विनियम वर्ष 2017 में आये हैं, तथापि सूचित किये गये उल्लंघन वर्ष 2017-18 के हैं। जब उक्त विनियम लागू किया गया था, तब उनके पास पहले से ही बहुत सारे कर्मचारी थे जो व्यवसाय की अपेक्षा कर रहे थे तथा तब उन्होंने विनियामक अपेक्षाओं के बारे में जाना और उन्होंने प्राधिकृत सत्यापक (एवी) की परीक्षाओं के लिए आवेदन करना प्रारंभ किया, तथापि उक्त संस्थानों के पास इन परीक्षाओं के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रक्रियाएँ नहीं थीं और इस कारण से परीक्षाओं की तारीखों में विलंब हुआ। साथ ही, कुछ मामलों में कुछ कर्मचारी पहले प्रयास में अनुत्तीर्ण होने पर दुबारा प्रयास करने के लिए गये। भारतीय बीमा संस्थान के अनुसार, यदि कोई एजेंट किसी परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं करता/ परीक्षा में उपस्थित नहीं होता, तो उन्हें उसी परीक्षा में पुनः उपस्थित होने के लिए 3 महीने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। इस अवधि में वे अपने मौजूदा कर्मचारियों को जाने देने की स्थिति में नहीं थे। वर्ष 2017 में संस्था के लिए यह प्रक्रिया नई थी; इसलिए इसे संचालित करने में कुछ समय लगा।
- निर्णयः
निरीक्षण के अवलोकन में अभिनिर्धारित 32 नमूना पालिसियों का विश्लेषण करने पर, यह देखा गया कि 32 पालिसियों में से 14 मामले ऐसे हैं जहाँ दोनों अग्रता उत्पादन और पालिसी निर्गम की तारीखें 13-04-2017 के बाद अर्थात् आईआऱडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 की प्रभावी तारीख के बाद आती हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त करने के चौदह पुष्टीकृत मामले हैं जो बीमा उत्पादों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) करने के लिए आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 2(ग) के अंतर्गत परिभाषित रूप में प्राधिकृत सत्यापक नहीं हैं। अतः वेब संग्राहक ने आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित अनुसूची VI के फार्म टी के खंड 4(क) और 4(ग) का उल्लंघन किया है। बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102 (ख) के अंतर्गत निहित शक्तियों के आधार पर प्राधिकरण उपर्युक्त उल्लंघन के लिए (यह मानते हुए कि उक्त उल्लंघन 14 दिन के लिए बना रहा है) रु. 14,00,000/- (केवल चौदह लाख रुपये) का अर्थदंड लगाता है। इसके अलावा, वेब संग्राहक को आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित अनुसूची VI के फार्म टी के खंड 4(क) और 4(ग) का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निदेश दिया जाता है।
वेब संग्राहक को आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित अनुसूची VI के फार्म टी के खंड 4(क) और 4(ग) का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निदेश दिया जाता है।
निर्णयों का सारांशः
- इस आदेश में निहित निर्णयों का सारांश निम्नलिखित हैः
क्रम सं. |
आरोप का संक्षिप्त शीर्षक और उल्लंघन किये गये उपबंध |
निर्णय |
1 |
आरोपः पालिसी का निर्गम अग्रता उत्पादन के 3 महीने के बाद पूरा करना उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी का पैरा 9(ग)। |
चेतावनी और निदेश |
2 |
आरोपः रु. 1.5 लाख से अधिक राशि की गैर-एकल वार्षिक प्रीमियम पालिसी का स्रोतीकरण। उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित फार्म टी का पैरा 11(i)। |
चेतावनी और परामर्श |
3 |
आरोपः प्राधिकरण को प्रकटीकरण प्रस्तुत न करना। उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 का विनियम 22(क) |
चेतावनी और परामर्श |
4 |
आरोपः अपनी वेबसाइट पर बीमाकर्ताओं का संवर्धन (प्रमोटिंग) करना उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 26 की अनुसूची IV के फार्म क्यू का खंड (ग)। |
चेतावनी और परामर्श |
5 |
आरोपः भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबीआई) के डेटाबेस पर प्राधिकृत सत्यापकों की सूची को अद्यन न करना। उपबंधः आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीएआई/आईएनटी/ सीआईआर/सीबीडी/197/08/2017 दिनांक 24 अगस्त 2017. |
चेतावनी और परामर्श |
6 |
आरोपः विनियमों के द्वारा निर्धारित रूप में व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसियाँ न रखना। उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 का विनियम 18. |
चेतावनी और परामर्श |
7 |
आरोपः करारों की प्रतियाँ प्राधिकरण को प्रस्तुत न करना। उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 20 के अनुसार अनुसूची III के फार्म एल का खंड 2(ग) एवं विनियम 20 के अनुसार अनुसूची III के फार्म एल का खंड 1(क) और 1(ग)। |
बल नहीं दिया गया |
8 |
आरोपः प्राधिकृत सत्यापकों (एवी) को छोड़कर अन्य व्यक्तियों द्वारा दूर-विपणन (टेली मार्केटिंग) और दूरस्थ विपणन (डिस्टैंस मार्केटिंग) के माध्यम से बीमा की अपेक्षा (सलिसिटेशन) करना। उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा वेब संग्राहक) विनियम, 2017 के विनियम 29 के साथ पठित अनुसूची VI के फार्म टी का पैरा 4(क) और 4(ग)। |
चौदह लाख रुपये का अर्थदंड और निदेश |
समापनः
- जैसा कि संबंधित आरोप के अंतर्गत निर्दिष्ट किया गया है, चौदह लाख रुपये का उक्त अर्थदंड वेब संग्राहक के द्वारा एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से (जिसके लिए विवरण अलग से सूचित किया जाएगा) इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 45 दिन की अवधि के अंदर विप्रेषित किया जाएगा। विप्रेषण की सूचना श्री प्रभात कुमार मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन) को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, सर्वे सं. 115/1; फाइनैंशियल डिस्ट्रिक्ट; नानकराम गूडा; गच्चीबौली; हैदराबाद-500032 के पते पर भेजी जाए।
- वेब संग्राहक उपर्युक्त निर्णय के संबंध में अनुपालन की पुष्टि इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 21 दिन के अंदर करेगा। यह आदेश आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा तथा वेब संग्राहक विचार-विमर्श के कार्यवृत्त की एक प्रति प्राधिकरण को प्रस्तुत करेगा।
- यदि वेब संग्राहक इस आदेश में निहित किसी भी निर्णय से असंतुष्ट है, तो बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 110 के अनुसार प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) को अपील प्रस्तुत की जा सकती है।
(एस. एन. राजेश्वरी)
सदस्य (वितरण)
दिनांकः 6 दिसंबर 2021
स्थानः हैदराबाद।