संदर्भःआईआरडीएआई/एनएल/ओआरडी/विविध/086/04/2021
मेसर्स एसबीआईजनरल इंश्योरेंसकंपनी लि. के मामलेमें आदेश
निम्नलिखितके आधार पर
(i) प्राधिकरणद्वारा नियुक्तन्यायनिर्णयनअधिकारी द्वाराजारी किया गयाकारण बताओ नोटिस(इस आदेश में इसकेबाद `एससीएन’ केरूप में उल्लिखित)दिनांक 4 फरवरी2020 ।
(ii) उक्तएससीएन के लिएमेसर्स एसबीआईजनरल इंश्योरेंसकंपनी लिमिटेड(इस आदेश में इसकेबाद `बीमाकर्ता’ केरूप में उल्लिखित)का उत्तर दिनांक3 मार्च 2020 ।
(iii) 19 जून2020 को आभासी (वर्च्युअल)वैयक्तिक सुनवाईके दौरान न्यायनिर्णयनअधिकारी के समक्षबीमाकर्ता द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरण।
(iv) न्यायनिर्णयनअधिकारी की रिपोर्टदिनांक 18 अगस्त2020 ।
(v) बीमाकर्ताको उक्त मामलेमें वैयक्तिक सुनवाईका एक अवसर देतेहुए प्राधिकरणका पत्र दिनांक9 अक्तूबर 2020 ।
(vi) प्राधिकरणके पत्र दिनांक9 अक्तूबर 2020 के लिएबीमाकर्ता का उत्तरदिनांक 15 अक्तूबर2020 ।
(vii) प्राधिकरणके अध्यक्ष द्वाराअनुमत 21 जनवरी 2021को अपराह्न 3.30 बजेआयोजित आभासी वैयक्तिकसुनवाई के दौरानबीमाकर्ता के द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरण।
पृष्ठभूमिः
1) आईआरडीएआई(मोटर अन्य पक्षबीमा व्यवसाय केसंबंध में बीमाकर्ताका दायित्व) विनियम,2015 के अनुसार बीमाकर्ताद्वारा प्रस्तुतडेटा की जाँच करनेपर यह पाया गयाकि बीमाकर्ता नेवित्तीय वर्ष2017-18 के लिए मोटर अन्यपक्ष दायित्व(इस आदेश में इसकेबाद `एमटीपीदायित्व’ के रूपमें उल्लिखित)का अनुपालन नहींकिया।
2) बीमा अधिनियम,1938 (इस आदेश में इसकेबाद `अधिनियम’ केरूप में उल्लिखित)की धारा 32डी के संभवउल्लंघन के संबंधमें उक्त मामलाअधिनियम की धारा105सी के उपबंधोंके अनुसार प्राधिकरणद्वारा नियुक्तन्यायनिर्णयनअधिकारी को भेजागया।
3) न्यायनिर्णयनअधिकारी ने बीमा(न्यायनिर्णयनअधिकारी द्वाराजाँच आयोजित करनेके लिए क्रियाविधि)नियम, 2016 (इस आदेशमें इसके बाद `एओ नियम’ केरूप में उल्लिखित)के नियम 4 के अधीनपत्र संदर्भ सं.आईआऱडीएआई/एडीजे/एसबीआईजनरल/2019-20/ दिनांक4 फरवरी 2020 के द्वाराकारण बताओ नोटिसजारी किया।
4) बीमाकर्ताने अपने पत्र दिनांक3 मार्च 2020 के द्वाराउक्त एससीएन केलिए अपना प्रत्युत्तरप्रस्तुत कियातथा बीमाकर्ताके अनुरोध के अनुसारन्यायनिर्णयनअधिकारी ने इसमामले में एक वैयक्तिकसुनवाई का अवसर19 जून 2020 को प्रदानकिया।
5) न्यायनिर्णयनअधिकारी ने जाँचरिपोर्ट अपनी सिफारिशोंके साथ प्राधिकरणको 18 अगस्त 2020 को प्रस्तुतकी।
6) न्यायनिर्णयनअधिकारी की रिपोर्टकी जाँच करने केबाद प्राधिकरणने बीमा अधिनियम,1938 की धारा 105सी (2) केअधीन बीमाकर्ताको वैयक्तिक सुनवाईका एक और अवसर देतेहुए एक पत्र दिनांक9 अक्तूबर 2020 जारीकिया।
7) बीमाकर्ताने अपने पत्र दिनांक15 अक्तूबर 2020 के द्वारावैयक्तिक सुनवाईकी अपेक्षा कीजिसका आयोजन अधोहस्ताक्षरकर्ताद्वारा 21 जनवरी2021 को आभासी तौर परकिया गया। बीमाकर्ताके श्री पी. सी. कन्दपाल,एमडी और सीईओ, श्रीपूषण महापात्रा,अध्यक्ष – कार्यनीतिकनिवेश और डिजिटलपहल, श्री सुब्रमण्यमबी, प्रमुख – जोखिम-अंकनऔर पुनर्बीमा,श्री महेन्द्रत्रिपाठी, प्रमुख– अनुपालन, विधिऔर सीएस, श्री रिखिलशाह, एसवीपी औरसीएफओ, श्री शत्रुघ्नसिंह, अग्रणी-अनुपालनउक्त सुनवाई मेंउपस्थित थे। प्राधिकरणकी ओर से श्रीमतीयज्ञप्रिया भरत,मुख्य महाप्रबंधक(गैर-जीवन), श्रीमतीअनिता जोस्युला,महाप्रबंधक (गैर-जीवन)और श्री ए. श्रीहरि,प्रबंधक उपस्थितथे।
8) न्यायनिर्णयनअधिकारी की सिफारिशों,एससीएन के लिएदिनांक 03.02.2020 के पत्रके द्वारा कियेगये बीमाकर्ताके प्रस्तुतीकरणों,बीमाकर्ता के उत्तरदिनांक 15.10.2020 और 21.01.2021को आयोजित वैयक्तिकसुनवाई के दौरानकिये गये प्रस्तुतीकरणोंपर सावधानीपूर्वकविचार किया गया।
9) आरोप
बीमा अधिनियम,1938 की धारा 32डी काउल्लंघनः बीमाकर्ताने आईआरडीएआई(मोटर अन्य पक्षबीमा व्यवसाय)विनियम, 2015 के विनियम3 के अनुसार परिकलितवित्तीय वर्ष2017-18 के लिए एमटीपीदायित्व का अनुपालननहीं किया। वित्तीयवर्ष 2017-18 के दौरानबीमाकर्ता ने रु.434.33करोड़ के न्यूनतमअनिवार्य एमटीपीबीमा व्यवसाय कीतुलना में रु.329.73करोड़ का जोखिम-अंकनकिया है जो रु.104.60करोड़ की कमी केरूप में परिणतहुआ है। प्रतिशतके तौर पर उक्तकमी एमटीपी बीमाव्यवसाय दायित्वका लगभग 24.08% बनती है।
10)वित्तीयवर्ष 2015-16 से 2019-20 तक केलिए कमी/ आधिक्य काविवरण निम्नानुसारहैः
(रु.करोड़ में)
वित्तीय वर्ष 2019-20 | वित्तीय वर्ष 2018-19 | वित्तीय वर्ष 2017-18 | वित्तीय वर्ष 2016-17 | वित्तीय वर्ष 2015-16 |
कमी (-ऋणात्मक)/आधिक्य (+धनात्मक) |
राशि | % | राशि | % | राशि | % | राशि | % | राशि | % |
35.24 | 4.52% | -321.98 | -50.44% | -104.60 | -24.08% | -146.11 | -38.59% | 2.93 | 1.06% |
11) बीमाकर्ताके प्रस्तुतीकरणः
(क) बीमाकर्ताने कहा कि उसनेअपने एमटीपी दायित्वपूरे करने के लिएसंगठित प्रयासकिये हैं। उसकेएमटीपी व्यवसायमें वित्तीय वर्ष2019-20 से उल्लेखनीयवृद्धि रही है।कंपनी ने अपनीवचनबद्धता के अनुपालनमें 2019-20 के लिए आईएनआर780 करोड़ के एमटीपीदायित्व की तुलनामें वित्तीय वर्ष2019-20 के दौरान आईएनआर815 करोड़ तक का जोखिम-अंकनकिया था।
(ख) कंपनीवित्तीय वर्ष2016-17, 2017-18 और 2018-19 के लिए दर्जकमी को अनुवर्तीवर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 मेंपूरा कर लेगी।
(ग) बीमाकर्ताने कभी भी व्यवसायके अपने किसी भीस्थान पर किसी“केवलदेयता”पालिसीको अस्वीकार नहींकिया तथा उनकीओर से कोई असद्भावपूर्णउद्देश्य नहींरहा।
(घ) बीमाकर्ताने एमटीपी दायित्वका अनुपालन करनेमें कमी के परिणामस्वरूपकोई अनुपातहीनअभिलाभ अथवा अनुचितलाभ प्राप्त नहींकिया है। इसकेअलावा, उक्त कमीके कारण उसके द्वाराबीमित पालिसीधारकोंको कोई हानि नहींहुई है।
(ङ) बीमाकर्ताने धारा 105बी के अधीनकोई चूक नहीं कीहै, क्योंकि यहधारा तभी लागूहोती है जब अधिनियमकी सभी तीनों धाराओंअर्थात् 32बी, 32सीऔर 32डी के अंतर्गतचूक की जाती है।
(च) अधिनियमकी धारा 105डी वे तीनकारक उपलब्ध करातीहै जिन्हें अर्थदंडलगाने के लिए ध्यानमें रखना चाहिए।
(i) चूकके परिणामस्वरूपप्राप्त अनुपातहीनअभिलाभ अथवा अनुचितलाभ की राशि, जहाँभी परिमाणनीय हो;
(ii) चूकके परिणामस्वरूपपालिसीधारकोंको हुई हानि कीराशि;तथा
(iii) चूकका आवृत्तिमूलकस्वरूप।
(छ) बीमाकर्ताने प्रस्तुतीकरणकिया कि अर्थदंडलगाने के लिए उपर्युक्ततीनों कारकों कोध्यान में रखनेकी आवश्यकता है।
12)अननुपालनके आवृत्तीय स्वरूपके कारण, न्यायनिर्णयनअधिकारी ने रु.एक करोड़ के अर्थदंडकी सिफारिश की।
13) प्राधिकरणका निर्णयः
(क) धाराएँ32बी, 32सी और 32डी एकदूसरे से भिन्नहैं तथा किसी एकधारा का अनुपालनबीमाकर्ता को अन्यधाराओं के अननुपालनसे मुक्त नहींकरता।
(ख) बीमाअधिनियम, 1938 की धारा32डी एवं आईआरडीएआई(मोटर अन्य पक्षबीमा व्यवसाय केसंबंध में बीमाकर्ताका दायित्व) विनियम,2015 के मूलभूत उद्देश्यबीमारहित वाहनोंकी संख्या को कमकरना, यह सुनिश्चितकरना कि कोई भीबीमाकर्ता एमटीपीबीमा कवर का जोखिम-अंकनकरने से इनकारन करे, तथा यह सुनिश्चितकरना कि बीमा जोखिमकेवल एक सीमितसंख्या में बीमाकर्ताओंके पास संकेन्द्रितन हो, बल्कि समूचेउद्योग में व्याप्तरहे।
(ग) वित्तीयवर्ष 2017-18 के लिए, बीमाकर्ताने उक्त दायित्वको पूरा नहीं कियातथा उसके पास रु.104.6 करोड़ (24.08%) की कमी रही, जो आईआरडीएआई (मोटर अन्यपक्ष बीमा व्यवसायके संबंध में बीमाकर्ताका दायित्व) विनियम,2015 के विनियम 3 केअननुपालन के समानहै।
(घ) बीमाकर्ताने तत्काल पूर्ववर्तीवित्तीय वर्ष2016-17 के दौरान एमटीपीदायित्व पूरे नहींकिये थे जहाँ रु.146 करोड़ (38.59%) की उल्लेखनीयकमी रही थी।
(ङ) उल्लंघनके आवृत्तिमूलकस्वरूप, उल्लंघनके परिमाण तथाबीमाकर्ता के प्रस्तुतीकरणकि वे प्रतिबद्धहैं और एमटीपीदायित्व पूरे करनेके लिए विभिन्नतालमेल व्यवस्थाएँकर रहे हैं, को ध्यानमें रखते हुए प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 105सी केउपबंधों के अनुसारनिहित अपनी शक्तिका प्रयोग करतेहुए रु. 25,00,000/- (केवल पच्चीसलाख रुपये) काअर्थदंड लगाताहै।
(च) इसकेअलावा, बीमाकर्ताको आईआरडीएआई(मोटर अन्य पक्षबीमा व्यवसाय केसंबंध में बीमाकर्ताका दायित्व) विनियम,2015 में विनिर्दिष्टरूप में मोटर अन्यपक्ष व्यवसाय केअंतर्गत दायित्वोंके संबंध में भविष्यमें सख्त अनुपालनसुनिश्चित करनेके लिए सूचित कियाजाता है।
14) निर्णयोंका सारांशः
आरोप सं. | उपबंधों का उल्लंघन | निर्णय |
1 | वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए आईआरडीएआई (मोटर अन्य पक्ष बीमा व्यवसाय के संबंध में बीमाकर्ता का दायित्व) विनियम, 2015 में विनिर्दिष्ट रूप में मोटर अन्य पक्ष व्यवसाय के अंतर्गत न्यूनतम दायित्वों का अननुपालन। | केवल रु. 25 लाख का अर्थदंड और परामर्श |
15)रु.25,00,000/- (केवलपच्चीस लाख रुपये) का उक्तअर्थदंड बीमाकर्ताद्वारा एनईएफटी/आरटीजीएसके माध्यम से (जिसकेलिए विवरण अलगसे भेजा जाएगा)इस आदेश की प्राप्तिकी तारीख से 45 दिनकी अवधि के अंदरशेयरधारकों केखाते में नामेडालकर विप्रेषितकिया जाएगा। विप्रेषणकी सूचना श्रीमतीयज्ञप्रिया भरत,मुख्य महाप्रबंधक(गैर-जीवन) को भारतीयबीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण,सर्वे सं. 115/1, फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट, नानकरामगूडा,हैदराबाद 500032, ई-मेलआईडी – ypriyab@irdai.gov.in के पतेपर भेजी जाए।
16)यहआदेश बीमाकर्ताके बोर्ड के समक्षआगामी बोर्ड बैठकमें रखा जाएगातथा बीमाकर्ताबोर्ड की बैठकके कार्यवृत्तकी प्रति प्राधिकरणको प्रस्तुत करेगा।
17)यदिबीमाकर्ता इस आदेशसे असंतुष्ट है,तो बीमा अधिनियम,1938 की धारा 110 के उपबंधोंके अनुसार प्रतिभूतिअपीलीय न्यायाधिकरण(एसएटी) को अपीलप्रस्तुत की जासकती है।
हस्ता./-
(डा.सुभाष सी. खुंटिआ)
अध्यक्ष
स्थानःहैदराबाद
दिनांकः9 अप्रैल 2021