Document Detail

Title: आदेश
Reference No.: आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/082/04/2021
Date: 12/04/2021
फ्यूचर जनराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. के मामले में आदेश

 

 

संदर्भसं.:आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/082/04/2021 दिनांकः 12-04-2021

फ्यूचरजनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. केमामले मेंआदेश

 

निम्नलिखितके आधार परः

(i)      भारतीयबीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण (प्राधिकरणअथवा आईआरडीएआई”)द्वारा 15 से 25जनवरी 2018 तक कीअवधि के दौरानसंचालित कियेगये आनसाइटनिरीक्षण केसंबंध में आईआरडीए/प्रवर्तन/2018/ईएनएफ/एससीएन/एफजीआईसीएलदिनांक 28अक्तूबर 2020 सेयुक्त कारण बताओनोटिस (एससीएन)।

(ii)     फ्यूचरजनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. (कंपनीअथवाबीमाकर्ता”)का उत्तरदिनांक 30नवंबर 2020.

(iii)     वीडियोकान्फ्रेन्सके माध्यम सेप्राधिकरण केअध्यक्ष महोदयकी अध्यक्षतामें 11 जनवरी 2021को अपराह्न 3.00 बजेआयोजितवैयक्तिकसुनवाई केदौरान बीमाकर्ताद्वारा कियेगयेप्रस्तुतीकरण।

 

पृष्ठभूमिः

1. प्राधिकरणने 15 से 25 जनवरी 2018के दौरानफ्यूचर जनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. काएक आनलाइननिरीक्षणसंचालित कियाथा। निरीक्षणकी रिपोर्ट सेअन्य बातों केसाथ-साथ बीमाअधिनियम, 1938,उसके अधीनजारी किये गयेविनियमों,दिशानिर्देशोंऔर विभिन्नपरिपत्रों केउपबंधों केकुछ उल्लंघनविदित हुए।

2. निरीक्षणरिपोर्ट की एकप्रतिबीमाकर्ता को उनकेउत्तर कीअपेक्षा करतेहुए 21 फरवरी 2018को अग्रेषितकी गई।बीमाकर्ताद्वारा अपनेपत्र दिनांक 23मार्च 2018 केद्वारा कियेगये प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेपर कारण बताओनोटिस(एससीएन) 28अक्तूबर 2020 कोजारी कियागया। बीमाकर्ताने पत्रदिनांक 30नवंबर 2020 केद्वारा उसका उत्तरदिया।

3. बीमाकर्ताके द्वाराकिये गयेअनुरोध के अनुसार,वैयक्तिकसुनवाई का एकअवसर 11 जनवरी 2021को प्रदानकिया गया।श्री अनूपराऊ, एमडी वसीईओ, श्री श्रीराजदेशपांडे,सीओओ, श्रीदेवी दयालमार्ग, सीएफओ,श्री जतीनअरोड़ा,नियुक्तबीमांकक, श्रीआशिश लखाटिया,सीसीओ औरसुश्रीलक्ष्मी छाया,वरिष्ठप्रबंधक-अनुपालन नेबीमाकर्ता का प्रतिनिधित्वकिया।प्राधिकरण कीओर से, श्रीप्रभात कुमारमैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन),श्री आर. के.शर्मा,महाप्रबंधक(एफएण्डए-एनएल),श्री के.महीपालरेड्डी,महाप्रबंधक(एनएल), और श्रीके. श्रीधर,सहायकमहाप्रबंधक(प्रवर्तन)उपस्थित थे।

4. बीमाकर्ताद्वाराएससीएन केउत्तर मेंकिये गयेप्रस्तुतीकरणों,11 जनवरी 2021 कोवैयक्तिक सुनवाईके दौरान तथातदुपरांत 19 और 29जनवरी 2021 कोकिये गये प्रस्तुतीकरणोंकीसावधानीपूर्वकजाँच की गई औरविवरणनिम्नानुसारहैः

5. आरोप 1:

आईआरडीएआई(साधारण बीमाव्यवसाय कीआस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन)विनियम, 2016 की अनुसूची-Iकेखंड 1(1)(i) काउल्लंघन।

 

बीमाकर्ताके द्वारावित्तीय वर्ष2016-17 के दौरानउपलब्धशोधक्षमतामार्जिन केपरिकलन में रु.48.63 करोड़ कीअस्वीकार्यसह-बीमा शेषराशियों कोमाना गया।

6. बीमाकर्ताद्वारा कियेगयेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

कंपनीनेप्रस्तुतीकरणकिया कि उक्तराशि एक साधारणबीमाकर्ता सेवसूलीयोग्यहै और वित्तीयवर्ष 2014-15 सेसंबंधित है।प्राप्य राशिविवाद के अधीनहै और मुंबईस्थित एकन्यायालय केपास लंबित है।प्राधिकरण सेपत्र दिनांक 19सितंबर 2018द्वारा परामर्शप्राप्त करनेके बाद उक्तराशि कोवित्तीय वर्ष2018-19 से शोधक्षमतामार्जिन केलिए नहीं मानागया है। यह आश्वासनदिया गया किऐसी त्रुटिनहीं दोहराईजाएगी।

7. निर्णयः

बीमाकर्ताने वित्तीयवर्ष 2017-18 तकशोधक्षमता मार्जिनकी गणना करनेमें 90 दिन सेअधिक अवधि के लिएबकाया सह-बीमाशेषराशियोंको माना। प्राधिकरणने वित्तीयवर्ष 2016-17 के लिएबीमाकर्ता के वित्तीयविवरणों कीसमीक्षा करतेसमय इस बात कोदेखा और 19सितंबर 2018 कोबीमाकर्ता कोसूचित किया किशोध-क्षमता मार्जिनके परिकलन मेंगणना करने केलिए वित्तीयवर्ष 2018-19 से ऐसीअस्वीकार्यसह-बीमाप्राप्य राशियोंको हिसाब मेंन ले। इससंबंध मेंबीमाकर्ता नेपुष्टि की हैकि वित्तीयवर्ष 2018-19 से लेकरआगेशोधक्षमता केपरिकलन मेंऐसीअस्वीकार्यप्राप्यराशियों कोनहीं लिया जारहा है। बीमाकर्ताको इसकेद्वाराआईआरडीएआई(साधारण बीमाव्यवसाय कीआस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन)विनियम, 2016 कीअनुसूची-I केखंड 1(1)(i)का कड़ाई सेअनुपालनसुनिश्चितकरने के लिएसूचित कियाजाता है।

 

8. आरोप 2:

निम्नलिखितका उल्लंघन

आईआरडीएआई(बीमासर्वेक्षक औरहानि निर्धारक)विनियम, 2015 काविनियम सं. 12 (4)जिसमेंपरिकल्पित हैकि हानि केनिर्धारण के लिएसर्वेक्षक कीनियुक्तिहानि की घटनाकी जानकारीबीमाकर्ता कोमिलने के समयसे 72 घंटे केअंदर कीजाएगी। ऐसीनियुक्ति कीसूचना बीमाकृतव्यक्ति कोलिखित मेंभेजी जाएगीतथा यह दावानिपटानप्रक्रिया काभाग बनेगा।

आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम सं.9(1) जिसमेंपरिकल्पित हैकि यदि किसीहानि के लिएएक सर्वेक्षककी नियुक्तिकी जानी है, तोयह बीमाकृतव्यक्ति सेसूचना कीप्राप्ति से 72घंटे के अंदर इसप्रकार कियाजाएगा।

नमूनामामलों कीजाँच करने पर 72घंटे कीनिर्धारितसमय-सीमा की तुलनामेंबीमाकर्ताद्वारासर्वेक्षक कीनियुक्ति मेंसात मामलोंमें 3 से 12 दिन काविलंब पायागया। इसकेअलावा,बीमाकर्ता केपास मोटर दावोंके दावेदारोंको सर्वेक्षककी नियुक्तिके बारे मेंलिखित सूचनाभेजने कीप्रथाविद्यमाननहीं है।

 

 

 

9. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया किदावेदार सेसंपूर्णसूचना औरदस्तावेजप्राप्त होनेपर कंपनी 72घंटे के अंदरसर्वेक्षक कोनियुक्त करतीहै। बीमाकृतव्यक्ति कोसर्वेक्षक कीनियुक्ति कीस्थिति परनियमित रूप सेअद्यतनजानकारी दीजाती है।तथापि, ऐसेअवसर हो सकतेहैं जहाँ कईकारणों सेसर्वेक्षक कोनियुक्त करनेमें विलंब हुआहै, जैसेदावेदार केद्वारा दी गईअपर्याप्तसूचना,सर्वेक्षक केलिए दावेदार काउपलब्ध नहोना, छुट्टी/सप्ताहांत,आदि। कंपनी नेबताया कि इसकेसाथ ही, संबंधितस्थान परसर्वेक्षण कासंचालन करने केलिए जैसे हीसूचीबद्धसर्वेक्षकउपलब्ध होताहै, तब वहबीमाकृतव्यक्ति कोसर्वेक्षक कीनियुक्ति काविवरण सूचितकरती है। उक्तआरोप मेंउल्लिखितनमूना सातमामलों मेंबीमाकर्ता नेप्रस्तुतीकरणकिया कि 4 दावामामलों मेंअधूरा दावाविवरणप्राप्त कियागया, एक दावामामले में सूचनाकी तारीख गलतढंग सेप्राप्त कीगई, तथा शेष दोपरियोजनापालिसी केअंतर्गत दावेथे जिनकीसूचना पालिसीके विस्तार सेठीक पहले दीगई, जिससेविलंब के लिएमार्गप्रशस्त हुआ।बीमाकर्ता नेकहा किनियुक्ति मेंविलंब करने काकंपनी का कोईइरादा नहीं थाअथवा ऐसे कोईप्रयास कंपनीके द्वारा नहींकिये गये थे।

 

10. निर्णयः

बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने के लिएसूचित कियाजाता है किहानि का समयपर निर्धारणऔर दावे कानिपटान करनेके लिए दावेकी सूचना मिलनेके 72 घंटे केअंदरसर्वेक्षक कीनियुक्ति कीजाए। दावे कीअपेक्षाओँ केसंबंध मेंदावेदार का उचितमार्गदर्शनकिया जानाचाहिए।सर्वेक्षक कीनियुक्ति केबारे मेंदावेदार कोसूचना दी जानीचाहिए।

 

11. आरोप 3:

आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 9(5)का उल्लंघन।

मोटर चोरीके दावों मेंबीमाकर्ता नेदावा भुगतानसे बीमितघोषित मूल्य(आईडीवी) से 0%से30% तक कीकटौती की जबदावेदारद्वारा एकचाबी प्रस्तुतनहीं की गई।खोई हुई एकचाबी के मामलेमें मनमाने औरअपारदर्शीढंग से चोरीसंबंधी दावेके कुछप्रतिशत कीकटौती करतेहुए बीमाकर्ताके द्वाराअपनाये गयेदृष्टिकोण/प्रक्रियामें असंगति थी।

 

12. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

कंपनी नेप्रस्तुतीकरणकिया किप्रलेखीकरण कीजाँच / अन्वेषणके दौरान उसनेपाया कि सभीमूल चाबियाँबीमाकृतव्यक्ति केपास नहीं थींजब वाहन कीचोरी हुई थीऔर न हीचाबियों कासेट प्रतिस्थापितकिया गया और नचाबी खो जानेके संबंध मेंपुलिस थानेमें शिकायतदर्ज की गईजोकि चोरी केकारण हानि सेअपनी गाड़ी कीसुरक्षा करनेके लिए ग्राहकके लिएअत्यावश्यकहै। पालिसी कीशर्तों केअनुसार उक्तदावों कानिराकरण कियाजा सकता है।तथापि,जाँच-पड़तालके बाद,दावेदार कीसहमति प्राप्तकरते हुए औरकंपनी की मानकपरिचालनप्रक्रिया(एसओपी) केअनुसार दावोंका निपटानकिया गया।उक्त कटौतीविवेकपूर्णढंग से कार्यकरने के लिएदावेदार के अंदरभावी अनुशासनलागू करने केलिए था, मानोउसका बीमानहीं किया गयाहो। कंपनी नेकटौती केप्रतिशत कोसीमित करने केलिए एसओपी कासंशोधन करलिया है तथाकंपनीसुनिश्चितकरती है कि वहएसओपी मेंविनिर्दिष्टअधिकतम प्रतिशतको पार नहींकरेगी। कंपनीने सूचित कियाकि मोटर चोरीके दावे कुलमोटर दावों का1% बनते हैंतथा फिर चोरीके मामलों मेंसे चाबी खोने केमामले कुलमोटर चोरी केदावों का 1% बनतेहैं।

 

13. निर्णयः

यद्यपिबीमित वाहन कीसुरक्षा केलिए मूल चाबियोंका उचित ध्यानन रखते हुएदावेदार की ओरसे अंशदायीउपेक्षा और/यामहत्वपूर्ण शर्तका उल्लंघनकरने कीसंभावना है,तथापि इसकेसाथ ही, बीमाकर्ताका भी यहदायित्व है किअसंदिग्ध रुपसे ऐसे मामलोंमें कैसेनिर्णय लियाजाए, इसकेसंबंध में एकस्पष्ट नीतिनिर्धारितकरने के द्वारापालिसीधारकोंमें विश्वासनिर्मित करेताकि दावों केनिपटान मेंकिसी मनमानेपनके लिए कोईगुंजाइश नरहे।

 

इस स्थितिके होते हुए,बीमाकर्ता कोनिम्नलिखितउपाय करने का निर्देशदिया जाता हैः

(क)एक अमानक(नान-स्टैंडर्ड)दावा कैसेबनता है तथाअमानक आधार परकिस प्रकार केदावों का निपटानकिया जा सकताहै, इस संबंधमें उसके पासबोर्ड द्वाराअनुमोदितनीति हो।

(ख)         उसके पासअमानक आधार परनिपटाये गयेदावों के लिएदावाकटौतियों मेंदृष्टिकोणमें एकरूपताऔर सुसंगति कोसुसाध्य बनातेहुए एक अधिकव्यापक एसओपीहो।

(ग) तर्काधारके साथ संबंधितपालिसीशर्त(शर्तों)पर विशेष बलदेते हुएदावेदारों कोउपयुक्तसूचना केमाध्यम से पारदर्शिताबनाये रखनाजिसे/जिन्हेंकटौती के लिएलागू कियाजाता है।

(घ) दावेके समय मूलचाबियों कीआवश्यकता केसंबंध में विक्रयस्थल पर/नवीकरणपर विपणनस्टाफ तथासंभावितग्राहकों/पालिसीधारकोंको शिक्षित औरअभिमुख करना।

(ङ) संभावितग्राहक/बीमितव्यक्ति के साथअपने नियमित पत्र-व्यवहारमें दावानिपटान औरदावे की समय परसूचना के लिएमूल चाबियोंकी आवश्यकतासूचित करना।

(च)यहसुनिश्चितकरना कि चोरीसंबंधी दावेसे कटौतीदावेदार कोतर्काधारसूचित करने केबाद ही एकपारदर्शी औरसुसंगत तरीकेसे की जाए।

 

14. आरोप4:

निम्नलिखितका उल्लंघन

क.   आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम सं.9 (2 और 5).

ख.  आईआरडीएआईद्वारासंदर्भ सं.आईआरडीए/एफएण्डए/सीआईआर/025/2009-10दिनांक 5अगस्त 2009 केअनुसार जारीकिये गये कारपोरेटअभिशासनदिशानिर्देशोंका खंड सं. 6.

दावेके छह नमूनामामलों मेंनिम्नलिखितके संबंध मेंविलंब पायागया

-   सर्वेक्षककी रिपोर्ट काप्रस्तुतीकरण।

-    अन्वेषककी नियुक्ति

-    सर्वेक्षण/अन्वेषककी रिपोर्ट कीप्राप्ति के बादतत्काल कोई प्रश्न/स्पष्टीकरणउठाना तथा कोईअनुवर्ती स्मरण-पत्रनहीं था।

-    सभीअपेक्षितमदों कीप्राप्ति केबाद दावे कानिपटान/ निराकरण।

-   सूचनाखंडों मेंमाँगना जिसकेकारण दावानिर्णय मेंविलंब के लिएमार्ग प्रशस्तहुआ।

 

15. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

सर्वेक्षक/अन्वेषणरिपोर्ट के प्रस्तुतीकरणमें विलंब के लिएबीमाकर्ता ने विभिन्नकारण प्रस्तुतकिये।बीमाकर्ता नेप्रस्तुतीकरणकिया कि वेबीमितव्यक्तियोंके साथ नियमितरूप से संपर्कमें थे तथा यहभी प्रस्तुतीकरणकिया कि विलंबउनके द्वाराअनुसरण की जारहीप्रक्रियामें लिये गयेसमय के कारण अथवाबीमितव्यक्ति की ओरसे चूक/ असहयोगके कारण था।बीमाकर्ता नेप्रस्तुतीकरणकिया कि सभीनमूना मामलेमोटर चोरी केमामले थे जहाँएक अन्वेषक कोनियुक्त कियागया। अन्वेषक(इन्वेस्टिगेटर)की नियुक्तिदावेदार/ आरटीओ,आदिके प्रस्तुतीकरणोंके आधार पर अन्वेषणअपेक्षितहोनेवालेप्रत्येकमामले कीवास्तविकपरिस्थितियोंकी जाँच करनेके बाद की गईथी। यदिदावेदार केद्वारा कंपनीअथवा अन्वेषकको अपर्याप्तदस्तावेजप्रस्तुतकिये जाते हैं,तो कंपनीलंबितआवश्यकताओंके लिए अनुवर्तनकरती है।बीमाकर्ता नेप्रस्तुतीकरणकिया कि वेदावेदार कोअनुवर्तीपत्रों मेंसूचित करतेहैं किप्रस्तुतीकरणमें किसी भीविलंब से दावेके निपटान मेंविलंब के लिएमार्ग प्रशस्तहोगा। इसप्रस्तुतीकरणके समर्थन मेंबीमाकर्ता नेदावेदारों कोसंबोधित अनुवर्तीपत्रों केब्योरे/ दस्तावेजउपलब्ध कराये।

 

16. निर्णयः

बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने के लिएनिर्देश दियाजाता है किदस्तावेजोंकी आवश्यकता केबारे मेंदावेदार कोदावे की सूचनाके स्तर पर हीउचित रूप सेमार्गदर्शनप्रदान कियाजाए। इसकाअनुवर्तनदावेदारों केसाथ तब तक कियाजाना चाहिए जबतक सभीअपेक्षाएँपूरी नहीं कीजातीं।बीमाकर्ता कोचाहिए किसर्वेक्षक/अन्वेषकसे लंबित हानिनिर्धारण रिपोर्टोंकी प्राप्तिकी निगरानीकरे तथा लंबितरिपोर्टों केलिए आवधिकअंतरालों परउनके साथअनुवर्तनकरे।बीमाकर्ता कीओर से दावे केनिपटान मेंकोई विलंबहोने कीस्थिति में बीमाकर्ताप्राधिकरण केपरिपत्रसंदर्भ सं. आईआरडीए/सीएडी/सीआईआर/पीपीएचआई/059/04/2019दिनांक 10अप्रैल 2019 केपैरा 1(ग) (i सेiv) के साथपठितआईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कीसंरक्षण)विनियम, 2017 केविनियम 15(1) और 16के उपबंधों केअनुसारदंडात्मकब्याज के साथदावे कानिपटानकरेगा।

 

17. आरोप5:

निम्नलिखितका उल्लंघनः

क)  आईआरडीएआई(स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2016का विनियम 27 (ivऔरv), अपेक्षितमदों के लिएदावेदारों केसाथ अनुवर्तननहीं करतेहुए, दस्तावेजप्राप्त नहोने के कारणसे दावों कानिराकरण करते हुए,गुण-दोष/ पालिसीकी शर्तों के अनुसारउपलब्ध दस्तावेजोंके आधार पर दावोंका निपटान नहींकरते हुए, एवंकिसीदस्तावेज काप्राप्त नहोना दावे कीअस्वीकृति केलिए आधार नहींहोगा और न हीदावे बंद कियेजाएँगे।

ख)   आईआरडीए(स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2013का विनियम 8 (घ) (v).

ग)   आईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 13(3) और 15 (1,4, 8और 9), दावेदारके साथअनुवर्तननहीं करतेहुए, दावे कीसूचनाओं केसंबंध मेंअनिवार्यदावा अपेक्षाओँके बारे मेंदावेदार कोसूचित नहींकरते हुए तथायह सुनिश्चितकरने के लिएएक आंतरिकनियंत्रणव्यवस्था नरखते हुए किदावेदारों कोअस्वीकृति के कारण/आधारउचित रूप से संप्रेषितकिये जाएँ जिससेवे उपयुक्त रूपसे प्रतिक्रियाकरने और राशिका दावा करनेमें समर्थ हो सकें।

 

यह पायागया किस्वास्थ्य औरव्यक्तिगतवैयक्तिकदुर्घटनादावों केसंबंध मेंबीमित व्यक्तियोंसे दावा सूचनाप्राप्त करनेके बाद दावेदारोंको बीमाकर्ताकी ओर से कोईअगली सूचनानहीं दी गई थीतथा दावे भुगतानके बिना बंदकिये गयेअथवा निराकरणकी श्रेणी केअंतर्गत बंदकिये गये थे।

 

18. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

कंपनी नेप्रस्तुतीकरणकिया कि यदिदावे के अस्वीकरणके बाद ग्राहकदावादस्तावेजप्रस्तुतकरता है, तो इनदस्तावेजोंपर कार्रवाईदावों कानिपटान करनेके लिए पालिसीकी शर्तों केअनुसार कीजाती है।प्रस्तुतकिये जानेवालेदस्तावेजोंकी माँग करतेहुए दावासूचना केतुरंत बादबीमित सदस्यको लिखित मेंएक उचित संदेशभेजा जाता है।दावे की सूचनाके बाद स्वास्थ्यदावाअपेक्षाओं केसभी लंबित मामलोंमें कंपनी 3स्मरण-पत्रभेजती है तथादस्तावेजप्रस्तुत नकरने के कारणकोई निराकरणनहीं कियाजाता। अपूर्ण/त्रुटिपूर्णदस्तावेजों सेयुक्त सभी मामलोंके लिए विषय काअनुवर्तन कियाजाता है। कंपनीने कहा कि केवलबहुविध स्मरण-पत्रभेजने के बाद हीविधिवत् कारण दर्जकरते हुएदावों कोअस्वीकृतकिया गया था।

 

19. निर्णयः

प्राधिकरणबीमाकर्ता केप्रस्तुतीकरणसे इस बात परध्यान देता हैकि अनिवार्य(मैंडेटरी)दावादस्तावेजप्राप्त होनेपर दावों कोपुनः खोला गयाऔर निपटायागया और साथ ही,लंबित अपेक्षाओंके लिए आवधिकअंतरालों परस्मरण-पत्रभेजे गये।

 

उपर्युक्तप्रस्तुतीकरणोंको ध्यान मेंरखते हुएप्राधिकरणनिम्नलिखितका अनुपालनसुनिश्चितकरने के लिएबीमाकर्ता कोनिर्देश देताहै-

-   आईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 15 (8 और 9),यह सुनिशिचितकरने के लिएउचित आंतरिकनियंत्रणव्यवस्थालागू करते हुएकि अस्वीकृतिके सुस्पष्टकारण/आधारदावेदारों कोउचित रूप सेसूचित किये जाएँ,जिससेउपयुक्त रूपसेप्रतिक्रियाकरने और राशिका दावा करनेके लिए उन्हेंसमर्थ बनायाजा सके।

-    आईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 13(3) और 15(1), दावाफार्म कीप्राप्ति केसमय सभीअधिदेशात्मक(मैंडेटरी)दावाअपेक्षाओं केबारे में दावेदारको सूचित करतेहुए औरअनुवर्तन केलिए आवश्यकसंपर्क काब्योराप्राप्त करतेहुए।

-    प्राधिकरणके परिपत्रसंदर्भ सं.आईआऱडीएआई/सीएडी/सीआईआर/पीपीएचआई/059/04/2019 दिनांक 10अप्रैल 2019 केसाथ पठितआईआरडीएआई(पालिसीधारकोके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 15(4), लंबितदावाअपेक्षाओं केसंबंध मेंमध्यवर्ती, ई-मेल,मोबाइलएसएमएस औरकिसी अन्यमाध्यम के द्वारादावेदारों केसाथ अनुवर्तनकरते हुए।

-    आईआरडीएआई(स्वास्थ्य बीमा)विनियम, 2016 काविनियम 27(v), गुणदोष/उपलब्धदस्तावेजों केआधार पर और पालिसीकी शर्तों के अनुसारदावों कानिपटान करतेहुए तथा किसीदस्तावेज काप्राप्त नहोना दावे कीअस्वीकृति केलिए आधार नहींहोगा और न हीदावे बंद कियेजाएँगे।

-   आईआरडीएआई(स्वास्थ्य बीमा)विनियम, 2016 काविनियम 27, सभीदस्तावेजोंकी माँगप्रारंभ मेंही करते हुएऔर खंडशः माँगन करते हुएतथा ऐसी सूचनाकी अपेक्षानहीं करते हुएजो पहले हीप्रस्ताव केस्तर परप्राप्त की गईहो।

 

20. आरोप6:

निम्नलिखितका उल्लंघनः

-   परिपत्रसंदर्भ सं.आईआरडीए/एनएल/सीआईआर/एफएण्डयू/003/01/2011दिनांक 06-01-2011 केसाथ पठितआईआरडीए/एनएल/जीडीएल/एफएण्डयू/030/02/2016दिनांक 18फरवरी 2016 कापैरा 11, अध्याय IIIतथाएफएण्डयूदिशानिर्देशदिनांक 28-09-2006 कापैरा 2, 11 और 28,प्राधिकरण केअनुमोदन केबिना अननुमोदितऐड-आन कवरबेचने केद्वारा।

-   आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम 3(2),विक्रय-स्थानपर संभावितग्राहक के लिएउपलब्धविकल्पों कोसीमित करने केलिए।

 

17 मोटर बीमापालिसियों केनमूने में यहपाया गया किबीमाकर्ताद्वाराउत्पादफाइलिंग प्रक्रियाके अंतर्गतप्राधिकरण केपास फाइल कियेबिना औरप्राधिकरण सेअनुमोदन लियेबिना `प्लान1-सी केरूप मेंउल्लिखित एकऐड-आन कवरदिया गया। उक्तऐड-आन कवरउत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशोंके अधीनप्राधिकरण केपास फाइल नहींकिया गया है।उक्त ऐड-आनकवर संभावितग्राहक कीसहमतिप्राप्त कियेबिना दियागया।

 

21. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः

बीमाकर्ताने अपनेप्रारंभिकप्रस्तुतीकरणमें कहा है कि `प्लान1-सी चारअनुमोदितऐड-आन कवरोंअर्थात्शून्य मूल्य-ह्रास,चाबी की हानि,निजी सामान कीहानि और सड़ककिनारेसहायता कासमूहन (बंडल)है। उक्त कवरआसानी सेपहचान करने केप्रयोजन केलिए समूहितकिये गये तथाप्रीमियम/द्विभाजनप्रत्येक ऐड-आनकवर के समक्ष पालिसीअनुसूची में दर्शायागया।

 

तथापि,बीमाकर्ता नेवैयक्तिकसुनवाई के बादअपनेप्रस्तुतीकरणमें कहा है किउक्त ऐड-आन कवर`प्लान1-सी मेंकेवल एक ऐड-आनकवर अर्थात् `उपभोग्यवस्तुएँ(कन्स्यूमबल्स)शामिल है जैसाकि प्राधिकरणद्वारा 8दिसंबर 2017 कोअनुमोदितकिया गया था,और न कि चारऐड-आन कवरसम्मिलित हैंजैसा कि कारणबताओ नोटिस केलिएबीमाकर्ताद्वारा अपनेप्रस्तुतीकरणमें उल्लेखकिया गया हैऔर जैसा कि वैयक्तिकसुनवाई केदौरान सूचित कियागया है।बीमाकर्ता नेयह भी स्वीकारकिया है किउक्त ऐड-आनकवर `उपभोग्यवस्तुएँ(कन्स्यूमबल्स)फाइलिंग औरप्राधिकरणद्वाराअनुमोदन से पहलेदिया गया था।

 

22. निर्णयः

बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंसे यह स्पष्ट हैकि

क)  बीमाकर्ताने ऐड-आन कवर `उपभोग्यवस्तुएँ (कन्स्यूमबल्स)उत्पादफाइलिंगप्रक्रिया केअंतर्गत प्राधिकरणके पास उक्तऐड-आन कवरफाइल करने सेपहले ही मोटरबीमापालिसियों केसाथ प्लान 1-सीके नाम से दियाथा।

ख)  बीमाकर्ताआरोप मेंउल्लिखित 17नमूना मामलों मेंसे केवल 9 मेंप्रस्तावफार्मों कीप्रतियाँप्रस्तुत करसका। किसी भीनमूना मामलेमें बीमाकर्ताऐड-आन कवर `उपभोग्यवस्तुएँ(कन्स्यूमबल्स)देने के लिएसंभावितग्राहक सेसहमतिप्राप्त करनेका कोई प्रमाणप्रस्तुतनहीं कर सका।इस स्थिति केहोते हुए,आरोप में उल्लिखितसभी 17 नमूनामामलों मेंबीमाकर्ता नेप्रस्तावफार्म मेंपालिसीधारककी सहमति प्राप्तकिये बिनाप्लान 1-सी केनाम से ऐड-आनकवर `उपभोग्यवस्तुएँ(कन्स्यूमबल्स)प्रदान किया।17 नमूनामामलों में से15 मामलेविभिन्नदिनांकों परथे और दोप्रस्ताव एक हीदिन के थे। इसप्रकारपालिसीधारककी सहमति प्राप्तकिये बिनाऐड-आन कवरप्रदान करना 16अलग-अलग दिनोंमें घटित हुआजो आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2002 के विनियम3(2) का उल्लंघनहै।

 

प्राधिकरणके अनुमोदन सेपहले ऐड-आनकवर देने केद्वारा कियेगये उत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशके उल्लंघन केलिए,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102 (ख) केअंतर्गतनिहितशक्तियों केआधार पर रु. 1,00,000/-(केवल एक लाखरुपये) काअर्थदंड लगाताहै।

 

पालिसीधारककी सहमतिप्राप्त कियेबिना ऐड-आनकवर देने परआईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 3(2)का उल्लंघनकरने के लिएजो 16 विभिन्नतारीखों परघटित हुआ,बीमा अधिनियम,1938 की धारा 102(बी)के अंतर्गतनिहितशक्तियों केआधार परप्राधिकरण रु.16,00,000/- (केवल सोलहलाख रुपये) काअर्थदंडलगाता है।

 

बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने कानिर्देश दियाजाता है कि

i.       उत्पाद/ऐड-आनकवर केवलसंभावितग्राहक की सहमतिप्राप्त करनेके बाद हीदिये जानेचाहिए।

ii.       कोई भीऐड-आन कवरअथवा उत्पादकेवल उत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशोंके अधीन फाइलकरने औरप्राधिकरणद्वाराअनुमोदन कियेजाने के बादहीप्रस्तावित कियाजाएगा।

 

23. निर्णयोंका सारांशः

 

उपबंधों का उल्लंघन

निर्णय

1

आईआरडीएआई (साधारण बीमा व्यवसाय की आस्तियाँ, देयताएँ और शोधक्षमता मार्जिन) विनियम, 2016 की अनुसूची-I का खंड 1(1)(i)

परामर्श

2

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 का विनियम 12(4) और आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 9(1)

परामर्श

3

आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 9(5)

निर्देश

4

आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम सं. 9 (2 और 5)

निर्देश और परामर्श

5

आईआरडीएआई (स्वास्थ्य बीमा) विनियम, 2016 का विनियम 27 (iv और v) तथा आईआरडीएआई (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2017 का विनियम 13(3) और 15 (1, 4, 8 और 9)

निर्देश और परामर्श

6

आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 3(2) तथा उत्पाद फाइलिंग दिशानिर्देश

रु. 17 लाख का अर्थदंड, परामर्श और निर्देश

 

24. रु. 17,00,000/-(सत्रह लाख रुपये)काउक्त अर्थदंडबीमाकर्ताद्वाराएनईएफटी/ आरटीजीएसके माध्यम से(बैंक खाते काब्योरा अलग सेसूचित कियाजाएगा) इसआदेश कीप्राप्ति कीतारीख से 45 दिनकी अवधि केअंदरशेयरधारकोंके खाते मेंनामे डालकरविप्रेषितकिया जाएगा।विप्रेषण कीसूचना श्रीप्रभात कुमारमैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन),आईआरडीएआई,सर्वे सं. 115/1,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबाद-500032 को भेजीजाए।

 

उक्तआदेशबीमाकर्ता केबोर्ड केसमक्ष आगामीबोर्ड बैठकमें रखा जाएगातथाबीमाकर्ता विचार-विमर्शकेकार्यवृत्तकी एक प्रतिप्राधिकरण कोप्रस्तुतकरेगा।

 

25. यदिबीमाकर्ता इसआदेश सेअसंतुष्ट है,तो बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 110 केउपबंधों केअनुसार प्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी) कोअपील प्रस्तुतकी जा सकतीहै।

 

(डा.सुभाष सी.खुंटिआ)

अध्यक्ष

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः9 अप्रैल 2021

 

 

 

 

 

  • Download


  • file icon

    Order in the matter of Future Generali India Insurance Co Ltd.pdf

    ३१२ KB