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फ्यूचरजनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. केमामले मेंआदेश
निम्नलिखितके आधार परः
(i) भारतीयबीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण (
(ii) फ्यूचरजनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. (“
(iii) वीडियोकान्फ्रेन्सके माध्यम सेप्राधिकरण केअध्यक्ष महोदयकी अध्यक्षतामें 11 जनवरी 2021को अपराह्न 3.00 बजेआयोजितवैयक्तिकसुनवाई केदौरान बीमाकर्ताद्वारा कियेगयेप्रस्तुतीकरण।
पृष्ठभूमिः
1. प्राधिकरणने 15 से 25 जनवरी 2018के दौरानफ्यूचर जनरालीइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लि. काएक आनलाइननिरीक्षणसंचालित कियाथा। निरीक्षणकी रिपोर्ट सेअन्य बातों केसाथ-साथ बीमाअधिनियम, 1938,उसके अधीनजारी किये गयेविनियमों,दिशानिर्देशोंऔर विभिन्नपरिपत्रों केउपबंधों केकुछ उल्लंघनविदित हुए।
2. निरीक्षणरिपोर्ट की एकप्रतिबीमाकर्ता को उनकेउत्तर कीअपेक्षा करतेहुए 21 फरवरी 2018को अग्रेषितकी गई।बीमाकर्ताद्वारा अपनेपत्र दिनांक 23मार्च 2018 केद्वारा कियेगये प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेपर कारण बताओनोटिस(एससीएन) 28अक्तूबर 2020 कोजारी कियागया। बीमाकर्ताने पत्रदिनांक 30नवंबर 2020 केद्वारा उसका उत्तरदिया।
3. बीमाकर्ताके द्वाराकिये गयेअनुरोध के अनुसार,वैयक्तिकसुनवाई का एकअवसर 11 जनवरी 2021को प्रदानकिया गया।श्री अनूपराऊ, एमडी वसीईओ, श्री श्रीराजदेशपांडे,सीओओ, श्रीदेवी दयालमार्ग, सीएफओ,श्री जतीनअरोड़ा,नियुक्तबीमांकक, श्रीआशिश लखाटिया,सीसीओ औरसुश्रीलक्ष्मी छाया,वरिष्ठप्रबंधक-अनुपालन नेबीमाकर्ता का प्रतिनिधित्वकिया।प्राधिकरण कीओर से, श्रीप्रभात कुमारमैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन),श्री आर. के.शर्मा,महाप्रबंधक(एफएण्डए-एनएल),श्री के.महीपालरेड्डी,महाप्रबंधक(एनएल), और श्रीके. श्रीधर,सहायकमहाप्रबंधक(प्रवर्तन)उपस्थित थे।
4. बीमाकर्ताद्वाराएससीएन केउत्तर मेंकिये गयेप्रस्तुतीकरणों,11 जनवरी 2021 कोवैयक्तिक सुनवाईके दौरान तथातदुपरांत 19 और 29जनवरी 2021 कोकिये गये प्रस्तुतीकरणोंकीसावधानीपूर्वकजाँच की गई औरविवरणनिम्नानुसारहैः
5. आरोप 1
आईआरडीएआई(साधारण बीमाव्यवसाय कीआस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन)विनियम, 2016 की अनुसूची-
बीमाकर्ताके द्वारावित्तीय वर्ष2016-17 के दौरानउपलब्धशोधक्षमतामार्जिन केपरिकलन में रु.48.63 करोड़ कीअस्वीकार्यसह-बीमा शेषराशियों कोमाना गया।
6. बीमाकर्ताद्वारा कियेगयेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
कंपनीनेप्रस्तुतीकरणकिया कि उक्तराशि एक साधारणबीमाकर्ता सेवसूलीयोग्यहै और वित्तीयवर्ष 2014-15 सेसंबंधित है।प्राप्य राशिविवाद के अधीनहै और मुंबईस्थित एकन्यायालय केपास लंबित है।प्राधिकरण सेपत्र दिनांक 19सितंबर 2018द्वारा परामर्शप्राप्त करनेके बाद उक्तराशि कोवित्तीय वर्ष2018-19 से शोधक्षमतामार्जिन केलिए नहीं मानागया है। यह आश्वासनदिया गया किऐसी त्रुटिनहीं दोहराईजाएगी।
7. निर्णयः
बीमाकर्ताने वित्तीयवर्ष 2017-18 तकशोधक्षमता मार्जिनकी गणना करनेमें 90 दिन सेअधिक अवधि के लिएबकाया सह-बीमाशेषराशियोंको माना। प्राधिकरणने वित्तीयवर्ष 2016-17 के लिएबीमाकर्ता के वित्तीयविवरणों कीसमीक्षा करतेसमय इस बात कोदेखा और 19सितंबर 2018 कोबीमाकर्ता कोसूचित किया किशोध-क्षमता मार्जिनके परिकलन मेंगणना करने केलिए वित्तीयवर्ष 2018-19 से ऐसीअस्वीकार्यसह-बीमाप्राप्य राशियोंको हिसाब मेंन ले। इससंबंध मेंबीमाकर्ता नेपुष्टि की हैकि वित्तीयवर्ष 2018-19 से लेकरआगेशोधक्षमता केपरिकलन मेंऐसीअस्वीकार्यप्राप्यराशियों कोनहीं लिया जारहा है। बीमाकर्ताको इसकेद्वाराआईआरडीएआई(साधारण बीमाव्यवसाय कीआस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन)विनियम, 2016 कीअनुसूची-I
8. आरोप 2
निम्नलिखितका उल्लंघन
आईआरडीएआई(बीमासर्वेक्षक औरहानि निर्धारक)विनियम, 2015 काविनियम सं. 12
आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम सं.9(1) जिसमेंपरिकल्पित हैकि यदि किसीहानि के लिएएक सर्वेक्षककी नियुक्तिकी जानी है, तोयह बीमाकृतव्यक्ति सेसूचना कीप्राप्ति से 72घंटे के अंदर इसप्रकार कियाजाएगा।
नमूनामामलों कीजाँच करने पर 72घंटे कीनिर्धारितसमय-सीमा की तुलनामेंबीमाकर्ताद्वारासर्वेक्षक कीनियुक्ति मेंसात मामलोंमें 3 से 12 दिन काविलंब पायागया। इसकेअलावा,बीमाकर्ता केपास मोटर दावोंके दावेदारोंको सर्वेक्षककी नियुक्तिके बारे मेंलिखित सूचनाभेजने कीप्रथाविद्यमाननहीं है।
9. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया किदावेदार सेसंपूर्णसूचना औरदस्तावेजप्राप्त होनेपर कंपनी 72घंटे के अंदरसर्वेक्षक कोनियुक्त करतीहै। बीमाकृतव्यक्ति कोसर्वेक्षक कीनियुक्ति कीस्थिति परनियमित रूप सेअद्यतनजानकारी दीजाती है।तथापि, ऐसेअवसर हो सकतेहैं जहाँ कईकारणों सेसर्वेक्षक कोनियुक्त करनेमें विलंब हुआहै, जैसेदावेदार केद्वारा दी गईअपर्याप्तसूचना,सर्वेक्षक केलिए दावेदार काउपलब्ध नहोना, छुट्टी
10. निर्णयः
बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने के लिएसूचित कियाजाता है किहानि का समयपर निर्धारणऔर दावे कानिपटान करनेके लिए दावेकी सूचना मिलनेके 72 घंटे केअंदरसर्वेक्षक कीनियुक्ति कीजाए। दावे कीअपेक्षाओँ केसंबंध मेंदावेदार का उचितमार्गदर्शनकिया जानाचाहिए।सर्वेक्षक कीनियुक्ति केबारे मेंदावेदार कोसूचना दी जानीचाहिए।
11. आरोप 3
आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 9(5)का उल्लंघन।
मोटर चोरीके दावों मेंबीमाकर्ता नेदावा भुगतानसे बीमितघोषित मूल्य(आईडीवी) से
12. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
कंपनी नेप्रस्तुतीकरणकिया किप्रलेखीकरण कीजाँच / अन्वेषणके दौरान उसनेपाया कि सभीमूल चाबियाँबीमाकृतव्यक्ति केपास नहीं थींजब वाहन कीचोरी हुई थीऔर न हीचाबियों कासेट प्रतिस्थापितकिया गया और नचाबी खो जानेके संबंध मेंपुलिस थानेमें शिकायतदर्ज की गईजोकि चोरी केकारण हानि सेअपनी गाड़ी कीसुरक्षा करनेके लिए ग्राहकके लिएअत्यावश्यकहै। पालिसी कीशर्तों केअनुसार उक्तदावों कानिराकरण कियाजा सकता है।तथापि,जाँच-पड़तालके बाद,दावेदार कीसहमति प्राप्तकरते हुए औरकंपनी की मानकपरिचालनप्रक्रिया(एसओपी) केअनुसार दावोंका निपटानकिया गया।उक्त कटौतीविवेकपूर्णढंग से कार्यकरने के लिएदावेदार के अंदरभावी अनुशासनलागू करने केलिए था, मानोउसका बीमानहीं किया गयाहो। कंपनी नेकटौती केप्रतिशत कोसीमित करने केलिए एसओपी कासंशोधन करलिया है तथाकंपनीसुनिश्चितकरती है कि वहएसओपी मेंविनिर्दिष्टअधिकतम प्रतिशतको पार नहींकरेगी। कंपनीने सूचित कियाकि मोटर चोरीके दावे कुलमोटर दावों का1% बनते हैंतथा फिर चोरीके मामलों मेंसे चाबी खोने केमामले कुलमोटर चोरी केदावों का 1%
13. निर्णयः
यद्यपिबीमित वाहन कीसुरक्षा केलिए मूल चाबियोंका उचित ध्यानन रखते हुएदावेदार की ओरसे अंशदायीउपेक्षा और
इस स्थितिके होते हुए,बीमाकर्ता कोनिम्नलिखितउपाय करने का निर्देशदिया जाता हैः
(क)एक अमानक(नान-स्टैंडर्ड)दावा कैसेबनता है तथाअमानक आधार परकिस प्रकार केदावों का निपटानकिया जा सकताहै, इस संबंधमें उसके पासबोर्ड द्वाराअनुमोदितनीति हो।
(ख)
(ग)
(घ)
(ङ)
(च)यहसुनिश्चितकरना कि चोरीसंबंधी दावेसे कटौतीदावेदार कोतर्काधारसूचित करने केबाद ही एकपारदर्शी औरसुसंगत तरीकेसे की जाए।
14. आरोप4:
निम्नलिखितका उल्लंघन
क. आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम सं.9 (2 और 5).
ख. आईआरडीएआईद्वारासंदर्भ सं.आईआरडीए/
दावेके छह नमूनामामलों मेंनिम्नलिखितके संबंध मेंविलंब पायागया
- सर्वेक्षककी रिपोर्ट काप्रस्तुतीकरण।
-
-
-
- सूचनाखंडों मेंमाँगना जिसकेकारण दावानिर्णय मेंविलंब के लिएमार्ग प्रशस्तहुआ।
15. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
सर्वेक्षक
16. निर्णयः
बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने के लिएनिर्देश दियाजाता है किदस्तावेजोंकी आवश्यकता केबारे मेंदावेदार कोदावे की सूचनाके स्तर पर हीउचित रूप सेमार्गदर्शनप्रदान कियाजाए। इसकाअनुवर्तनदावेदारों केसाथ तब तक कियाजाना चाहिए जबतक सभीअपेक्षाएँपूरी नहीं कीजातीं।बीमाकर्ता कोचाहिए किसर्वेक्षक
17. आरोप5:
निम्नलिखितका उल्लंघनः
क) आईआरडीएआई(स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2016का विनियम 27 (
ख)
ग) आईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 13(3) और 15 (1,4, 8और 9), दावेदारके साथअनुवर्तननहीं करतेहुए, दावे कीसूचनाओं केसंबंध मेंअनिवार्यदावा अपेक्षाओँके बारे मेंदावेदार कोसूचित नहींकरते हुए तथायह सुनिश्चितकरने के लिएएक आंतरिकनियंत्रणव्यवस्था नरखते हुए किदावेदारों कोअस्वीकृति के कारण
यह पायागया किस्वास्थ्य औरव्यक्तिगतवैयक्तिकदुर्घटनादावों केसंबंध मेंबीमित व्यक्तियोंसे दावा सूचनाप्राप्त करनेके बाद दावेदारोंको बीमाकर्ताकी ओर से कोईअगली सूचनानहीं दी गई थीतथा दावे “
18. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
कंपनी नेप्रस्तुतीकरणकिया कि यदिदावे के अस्वीकरणके बाद ग्राहकदावादस्तावेजप्रस्तुतकरता है, तो इनदस्तावेजोंपर कार्रवाईदावों कानिपटान करनेके लिए पालिसीकी शर्तों केअनुसार कीजाती है।प्रस्तुतकिये जानेवालेदस्तावेजोंकी माँग करतेहुए दावासूचना केतुरंत बादबीमित सदस्यको लिखित मेंएक उचित संदेशभेजा जाता है।दावे की सूचनाके बाद स्वास्थ्यदावाअपेक्षाओं केसभी लंबित मामलोंमें कंपनी 3स्मरण-पत्रभेजती है तथादस्तावेजप्रस्तुत नकरने के कारणकोई निराकरणनहीं कियाजाता। अपूर्ण
19. निर्णयः
प्राधिकरणबीमाकर्ता केप्रस्तुतीकरणसे इस बात परध्यान देता हैकि अनिवार्य(मैंडेटरी)दावादस्तावेजप्राप्त होनेपर दावों कोपुनः खोला गयाऔर निपटायागया और साथ ही,लंबित अपेक्षाओंके लिए आवधिकअंतरालों परस्मरण-पत्रभेजे गये।
उपर्युक्तप्रस्तुतीकरणोंको ध्यान मेंरखते हुएप्राधिकरणनिम्नलिखितका अनुपालनसुनिश्चितकरने के लिएबीमाकर्ता कोनिर्देश देताहै-
- आईआरडीएआई(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण)विनियम, 2017 काविनियम 15 (8 और 9),यह सुनिशिचितकरने के लिएउचित आंतरिकनियंत्रणव्यवस्थालागू करते हुएकि अस्वीकृतिके सुस्पष्टकारण/आधारदावेदारों कोउचित रूप सेसूचित किये जाएँ,जिससेउपयुक्त रूपसेप्रतिक्रियाकरने और राशिका दावा करनेके लिए उन्हेंसमर्थ बनायाजा सके।
-
-
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- आईआरडीएआई(स्वास्थ्य बीमा)विनियम, 2016 काविनियम 27, सभीदस्तावेजोंकी माँगप्रारंभ मेंही करते हुएऔर खंडशः माँगन करते हुएतथा ऐसी सूचनाकी अपेक्षानहीं करते हुएजो पहले हीप्रस्ताव केस्तर परप्राप्त की गईहो।
20. आरोप6:
निम्नलिखितका उल्लंघनः
- परिपत्रसंदर्भ सं.आईआरडीए/
- आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम 3(2),विक्रय-स्थानपर संभावितग्राहक के लिएउपलब्धविकल्पों कोसीमित करने केलिए।
17 मोटर बीमापालिसियों केनमूने में यहपाया गया किबीमाकर्ताद्वाराउत्पादफाइलिंग प्रक्रियाके अंतर्गतप्राधिकरण केपास फाइल कियेबिना औरप्राधिकरण सेअनुमोदन लियेबिना `प्लान1-सी’ केरूप मेंउल्लिखित एकऐड-आन कवरदिया गया। उक्तऐड-आन कवरउत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशोंके अधीनप्राधिकरण केपास फाइल नहींकिया गया है।उक्त ऐड-आनकवर संभावितग्राहक कीसहमतिप्राप्त कियेबिना दियागया।
21. बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंका सारांशः
बीमाकर्ताने अपनेप्रारंभिकप्रस्तुतीकरणमें कहा है कि
तथापि,बीमाकर्ता नेवैयक्तिकसुनवाई के बादअपनेप्रस्तुतीकरणमें कहा है किउक्त ऐड-आन कवर`प्लान1-सी’ मेंकेवल एक ऐड-आनकवर अर्थात्
22. निर्णयः
बीमाकर्ताकेप्रस्तुतीकरणोंसे यह स्पष्ट हैकि
क) बीमाकर्ताने ऐड-आन कवर
ख) बीमाकर्ताआरोप मेंउल्लिखित 17नमूना मामलों मेंसे केवल 9 मेंप्रस्तावफार्मों कीप्रतियाँप्रस्तुत करसका। किसी भीनमूना मामलेमें बीमाकर्ताऐड-आन कवर `
प्राधिकरणके अनुमोदन सेपहले ऐड-आनकवर देने केद्वारा कियेगये उत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशके उल्लंघन केलिए,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102 (ख) केअंतर्गतनिहितशक्तियों केआधार पर रु. 1,00,000
पालिसीधारककी सहमतिप्राप्त कियेबिना ऐड-आनकवर देने परआईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 3(2)का उल्लंघनकरने के लिएजो 16 विभिन्नतारीखों परघटित हुआ,बीमा अधिनियम,1938 की धारा 102(बी)के अंतर्गतनिहितशक्तियों केआधार परप्राधिकरण रु.16,00,000/- (केवल सोलहलाख रुपये) काअर्थदंडलगाता है।
बीमाकर्ताको यहसुनिश्चितकरने कानिर्देश दियाजाता है कि
i. उत्पाद/ऐड-आनकवर केवलसंभावितग्राहक की सहमतिप्राप्त करनेके बाद हीदिये जानेचाहिए।
ii. कोई भीऐड-आन कवरअथवा उत्पादकेवल उत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशोंके अधीन फाइलकरने औरप्राधिकरणद्वाराअनुमोदन कियेजाने के बादहीप्रस्तावित कियाजाएगा।
23. निर्णयोंका सारांशः
| उपबंधों का उल्लंघन | निर्णय |
1 | आईआरडीएआई (साधारण बीमा व्यवसाय की आस्तियाँ, देयताएँ और शोधक्षमता मार्जिन) विनियम, 2016 की अनुसूची-I का खंड 1(1)(i) | परामर्श |
2 | आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 का विनियम 12(4) और आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 9(1) | परामर्श |
3 | आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 9(5) | निर्देश |
4 | आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम सं. 9 (2 और 5) | निर्देश और परामर्श |
5 | आईआरडीएआई (स्वास्थ्य बीमा) विनियम, 2016 का विनियम 27 (iv और v) तथा आईआरडीएआई (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2017 का विनियम 13(3) और 15 (1, 4, 8 और 9) | निर्देश और परामर्श |
6 | आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 3(2) तथा उत्पाद फाइलिंग दिशानिर्देश | रु. 17 लाख का अर्थदंड, परामर्श और निर्देश |
24. रु. 17,00,000
उक्तआदेशबीमाकर्ता केबोर्ड केसमक्ष आगामीबोर्ड बैठकमें रखा जाएगातथाबीमाकर्ता विचार-विमर्शकेकार्यवृत्तकी एक प्रतिप्राधिकरण कोप्रस्तुतकरेगा।
25. यदिबीमाकर्ता इसआदेश सेअसंतुष्ट है,तो बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 110 केउपबंधों केअनुसार प्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी) कोअपील प्रस्तुतकी जा सकतीहै।
स्थानःहैदराबाद
दिनांकः9 अप्रैल 2021