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संदर्भसं.: आईआरडीएआई
आदेश
मेसर्सरहेजाक्यूबीई जनरलइंश्योरेंसकंपनी लि. केमामले मेंआदेश
निम्नलिखितके आधार पर
(i) केवलमोटर अन्यपक्षकारदेयता बीमारक्षा के संबंधमें भारतीयबीमाविनियामक औरविकास प्राधिकरण(“
(ii) उपर्युक्तएससीएन के लिएमेसर्स रहेजाक्यूबीई जनरलइंश्योरेंसकंपनी लि. (इसआदेश में इसकेबाद “
(iii) हैदराबादस्थित अपनेकार्यालय मेंप्राधिकरण केअध्यक्षद्वाराप्रदत्त 31अक्तूबर 2019 कोअपराह्न 3.30 बजेआयोजितवैयक्तिकसुनवाई केदौरानआरक्यूजीआईसीएलद्वारा कियेगये प्रस्तुतीकरण।
(iv) वैयक्तिकसुनवाई के बादबीमाकर्ताद्वारा ई-मेलदिनांक 4दिसंबर 2019 केअनुसार कियेगये अतिरिक्तप्रस्तुतीकरण।
1. आईआरडीएआई
3. उपर्युक्तको ध्यान मेंरखते हुए,एससीएन 25 जुलाई2019 को जारी कियागया, जिसकाउत्तरआरक्यूजीआईसीएलद्वारा पत्रदिनांक 9अगस्त 2019 केअनुसार दियागया। उसमेंआरक्यूजीआईसीएलद्वारा कियेगये अनुरोध केअनुसारबीमाकर्ता केलिए 31 अक्तूबर 2019को वैयक्तिकसुनवाईप्रदान की गई।
4. श्रीपंकज अरोड़ा,प्रबंधनिदेशक एवंमुख्य कार्यकारीअधिकारी, श्रीपुनीत साहनी,खुदरा व्यवस्थाओंके लिए प्रमुखजोखिम-अंकनअधिकारी, श्रीअनिरुद्धसिंह, परिचालनविभाग, तथा श्रीजिगर शाह,कंपनी सचिव औरमुख्यअनुपालन अधिकारीआरक्यूजीआईसीएलकी ओर से उक्तवैयक्तिकसुनवाई मेंउपस्थित थे। प्राधिकरणकी ओर सेसुश्रीयज्ञप्रियाभरत, मुख्यमहाप्रबंधक(एनएल), श्री के.महीपाल रेड्डी,उपमहाप्रबंधक(एनएल) तथाश्री रामसुधीर, प्रबंधक(एनएल) भीउपस्थित थे।
7. प्रस्तुतीकरणोंका सारांश
8. आरोपसं. 1 परनिर्णयः
8.1 आईआरडीएआईके परिपत्रमें यह स्पष्टरूप से उल्लिखितहै कि माननीयसर्वोच्चन्यायालय द्वारादिये गयेनिदेशों केअनुसार,बीमाकर्ता यहसुनिश्चितकरेंगे किअन्य पक्षबीमा कवर सभीप्रस्तावकोंको आनलाइनमाध्यमों केद्वारा भीउपलब्ध हो। इसप्रकार यहअभिप्रेत हैकि इस बात काविचार कियेबिना कि वाहनका विक्रय मोटरव्यापारी केपास अथवाएमआईएसपी केद्वारा कियागया है,बीमाकर्ता यहसुनिश्चितकरेंगे किअन्य पक्षबीमा कवरउपलब्ध हो।
8.2 उपर्युक्तपरिपत्र केअनुसार यहपर्याप्त होगायदिबीमाकर्ता 30अगस्त 2018 को याउससे पहले निर्धारितफार्मेट मेंआईआरडीएआई केपास सीएमडी
8.3 यहदेखा गया हैकि बीमाकर्ताने बाद मेंआशय-पत्र फाइलकिया था तथानई कारों केलिए तीन-वर्षीयमोटर अन्यपक्ष बीमा कवरएवं नयेदुपहिया वाहनोंके लिए पाँच-वर्षीय मोटरअन्य पक्ष बीमाकवर हेतुयूआईएनप्राप्तकिया। इसप्रस्तुतीकरणको ध्यान मेंरखते हुए किआरक्यूजीआईसीएलने विलंब कीअवधि के दौरानअथवा उसके बादउपर्युक्तकवर की माँगकरनेवालेकिसी भी ग्राहककी ऐसी माँग कोअस्वीकारनहीं किया हैतथा आशयस्टैंडअलोन टीपीकवर कोअस्वीकारकरना नहीं था,उक्त आरोप परबल नहीं दियाजाता है।तथापि,बीमाकर्ता कोइसके द्वारासूचित कियाजाता है किसमय-समय परप्राधिकरणद्वारा जारीकिये गयेपरिपत्रों औरदिशानिर्देशोंमेंनिर्धारितसमय-सीमाओं काकड़ाई से पालनकरे ताकि इसप्रकार कीचूकों कीपुनरावृत्तिको रोका जासके।
9. आरोपसं. 2:
आईआरडीएआई
10. प्रस्तुतीकरणोंका सारांश
10.1 बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया कि 2009 मेंमोटर पैकेजउत्पादफाइलिंग मेंयह भी उल्लेखकिया गया थाकि उत्पाद एकस्टैंडअलोनअन्य पक्ष देयतापालिसी के रूपमें भी प्रस्तावितकिया जा सकताहै। उत्पाद काउपयोग (i) पैकेजपालिसी और (ii)
10.2 आरक्यूजीआईसीएलने आगे सूचितकिया कि दावोंका निपटानकिया गया औरअभी तक कवरेजमें भ्रम केसंबंध मेंकिसी भीग्राहक से कोईशिकायत प्राप्तनहीं की गईहै। तदनुसार,बीमाकर्ताराज्य-वारपालिसियों (तिमाहीफार्मेट) केफार्म I मेंडेटा फाइलिंगकरता रहा हैजो मोटर अन्यपक्षपालिसियों औरप्रीमियम केविवरण कोप्रतिबिंबितकरता है।वैयक्तिकसुनवाई के दौरानबीमाकर्ता नेपुष्टि की किकंपनी ने केवलस्टैंडअलोनअन्य पक्षदेयता उत्पादफाइल किये हैंजिससे किसी भीभ्रम को दूरकिया जा सकेऔर पूरीस्पष्टतासुनिश्चित कीजा सके।
11. आरोपसं. 2 परनिर्णयः
कारण बताओनोटिस के लिएबीमाकर्ता केउत्तर औरवैयक्तिकसुनवाई केदौरान कियेगयेप्रस्तुतीकरणकी जाँच करनेपर निम्नानुसारपाया गयाः
11.1 मोटरवाहनों काबीमाकरनेवालीपालिसियाँ केवलपूर्व के भारतमोटरप्रशुल्क केखंड 6 में दियेगये मानकफार्म (फार्मों)के अनुसार हीजारी की जानीचाहिए। यहपूर्व केआईएमटी केसाधारणविनियम 3 मेंपर्याप्त रूपसे स्पष्टकिया गया है।आरक्यूजीआईसीएलजीआर केअनुसार केवलमोटर देयता पालिसीके लिए मानकफार्म काप्रयोग नहींकर रहा है। यहकहने में किमोटर पैकेजपालिसी कोस्टैंडअलोनअन्य पक्षदेयता पालिसीके रूप में भीप्रस्तावितकिया जा सकताहै, बीमाकर्ताको किसी भीप्रकार सेदोषमुक्तनहीं माना जासकता।प्राधिकरण नेमानक फार्मोंके प्रयोग मेंकोई छूट नहींदी है। इसकेबजाय,दिशानिर्देशोंके पैरा 7.2 (iv)(झ)में यहदोहराया गयाहै किप्रशुल्क केऐसे सामान्यनियमों औरविनियमों मेंकोई परिवर्तननहीं कियाजाएगा जिसकाप्रभावपालिसी की शर्तों,निबंधनों,वाक्यरचना,खंडों औरप#2346;ृष्ठांकनोंपर पड़ता हो।
11.2 बीमाकर्ताकी केवल देयताकवर वालीपालिसी वाक्यरचनाऔर पैकेजपालिसी कीपालिसीवाक्यरचनामें कुछपहलुओं में भिन्नताहै तथा इसकारण से यहपालिसीधारकोंको भ्रमित कररहा है जोउक्तदिशानिर्देशोंके पैरा 6(ड) काउल्लंघन है।संभावितग्राहक अथवापालिसीधारकगलत ढंग सेधारणाबनाएँगे किउत्पाद कुछऐसा संरक्षणप्रदान करताहै, जोकि वहवास्तव मेंप्रदान नहींकरता।
11.3 इसकेअलावा, केवलदेयता कीवाक्यरचना केस्थान पर मोटरपैकेज पालिसीअनुसूची औरवाक्यरचना काप्रयोग उक्तदिशानिर्देशोंके पैरा 6(च) काउल्लंघन है जोअपेक्षा करताहै कि उत्पादआवश्यकता परआधारित होनाचाहिए ताकि अनावश्यकऔर अतिशयकवरेज न जोड़ेजाएँ तथाआवश्यक कवरेजछूट न जाएँ।उक्तदिशानिर्देशोंका पैरा 17उत्पादों कीशर्तों औरनिबंधनों तथाअन्यविशेषताओँमें परिवर्तनकोप्रतिबंधितकरता है।
11.4 उक्तदिशानिर्देशोंके पैरा 7.2(iv)(ग) केअनुसार,प्रत्येकबीमाकर्ता यहसुनिश्चितकरेगा कि बीमाउत्पाद जोसाधारण बीमाव्यवसाय के किसीएक वर्ग मेंसांविधिकअपेक्षाएँपूरी करते हैंउन्हेंव्यवसाय के उसवर्ग में अन्यबीमा उत्पादफाइल करने सेपहले फाइलकिया जाएगा औरउत्पादयूआईएनप्राप्त कियाजाएगा। बीमाकर्ताने इसदिशानिर्देशका अनुपालनकरने के लिएकोई कदम नहींउठाया है।बीमाकर्ता उत्पादोंके वर्गीकरणके दौरान केवलमोटर अन्यपक्ष देयताकवरों के लोपको प्राधिकरणकी जानकारीमें नहीं लायाहै, जैसा किपरिपत्र सं. आईआरडीएआई/
11.5 आरक्यूजीआईसीएलद्वाराप्रस्तुतडेटा काअवलोकन करनेपर यह प्रकटहुआ है कि बीमाकर्ताउल्लेखनीयसंख्या मेंस्टैंडअलोनमोटर अन्यपक्ष व्यवसायके अंतर्गतपालिसियों काजोखिम-अंकनमोटर पैकेजपालिसीअनुसूची औरवाक्यरचना काप्रयोग करतेहुए करता रहाहै। इस प्रकारसे 2016-17, 2017-18 और 2018-19(दिसंबर तक) केदौरान जारी कीगई पालिसियोंकी संख्याक्रमशः 17696, 52178 और 49002है। इसप्रकार,वास्तव मेंभ्रामक कवरेजके लिएअरक्षित छोड़दिये गयेपालिसीधारकोंकी संख्याअत्यधिक हैतथा बीमाकर्ताद्वारा ऐसी चूकके जारी रहनेके दिनों कीसंख्या 1अप्रैल 2016 से सौदिन से अधिकहो गई थी।
उत्पादफाइलिंगदिशानिर्देशोंके उल्लंघन कीगंभीरता,पूर्व केआईएमटी केजीआर 3, आरक्यूजीआईसीएलद्वारा इसप्रकार की चूकके जारी रहनेके दिनों कीसंख्या परविचार करतेहुए तथा पालिसीधारकोंके हितों केसंरक्षण कोध्यान मेंरखते हुए,बीमा अधिनियम,1938 की धारा 102 औरउसमें किये गयेसंशोधनों केअंतर्गतप्राधिकरणमें निहित शक्तियोंका प्रयोगकरते हुए,बीमाकर्ता पररु. 1,00,00,000 (केवल एककरोड़ रुपये)का अर्थदंडलगाया जाताहै।
इसकेअतिरिक्त,बीमा अधिनियम,1938 की धारा 34(1) केअनुसार,बीमाकर्ता कोइसके द्वारानिदेश दियाजाता है कि वहमोटर पैकेजपालिसीफार्मों काप्रयोग करतेहुए जारी कीगई वर्तमान पालिसियोंको सुधारने केलिए आवश्यककदम उठाये।तदनुसार,प्रस्तावितसही कवरेज केबारे मेंपालिसीधारकोंको उपयुक्तरूप में सूचितकिया जाएगा।
12. निर्णयोंका सारांशः
आरोप सं. | उपबंधों का उल्लंघन | निर्णय |
1 | परिपत्र संदर्भः आईआरडीएआई/एनएल/सीआईआर/एमओटी/ 137/08/2018 दिनांक 28 अगस्त 2018 के पैरा 2, 3 और 4 का उल्लंघन | परामर्श |
2 | आईआरडीएआई/एनएल/जीडीएल/एफएण्डयू/030/02/2016 दिनांक 18 फरवरी 2016 के अनुसार साधारण बीमा उत्पादों के लिए उत्पाद फाइलिंग क्रियाविधियों संबंधी दिशानिर्देशों के पैरा 7.2 (iv)(झ), 7.2 (iv)(ग), 17, 6(च), 6(ड), परिपत्र संदर्भः आईआरडीए/एनएल/जीडीएल/एफएण्डयू/109/05/2017 दिनांक 3 मई 2017 एवं पूर्व के भारत मोटर प्रशुल्क के जीआरएस-3 का उल्लंघन | एक करोड़ रुपये का अर्थदंड और निदेश |
रु. 1,00,00,000/- (केवलएक करोड़रुपये) काउक्त अर्थदंडबीमाकर्ताद्वारा इसआदेश कीप्राप्ति से 15दिन की अवधिके अंदरएनईएफटी/आरटीजीएसके माध्यम से(जिसका विवरणअलग से सूचितकिया जाएगा)विप्रेषितकिया जाएगा।विप्रेषण कीसूचना सुश्रीयज्ञप्रियाभरत, मुख्यमहाप्रबंधक(गैर-जीवन) कोभारतीय बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण,सर्वे सं. 115/1,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,गच्ची बौली,हैदराबाद-500032 केपते पर भेजीजाए।
इसकेअतिरिक्त,
उक्त आदेशसाधारणबीमाकर्ता केबोर्ड के समक्षआगामी बोर्डबैठक में रखाजाएगा तथासाधारणबीमाकर्ताविचार-विमर्शकेकार्यवृत्तकी एक प्रतितथा अनुपालनमें सुधारलाने के लिए उठायेगये कदमों काविवरण उपलब्धकराएगा।
साधारणबीमाकर्तादिये गये निदेशपर की गईकार्रवाई कीरिपोर्टप्राधिकरण कोइस आदेश कीतारीख से 90 दिनके अंदरप्रस्तुतकरेगा।
13. यदिआरक्यूजीआईसीएलइस आदेश सेअसंतुष्ट है, तोबीमा अधिनियम,1938 की धारा 110 केउपबंधों केअनुसारप्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी) कोअपीलप्रस्तुत कीजा सकती है।
(डा.सुभाष सी.खुंटिआ)
स्थानःहैदराबाद
दिनांकः 27जनवरी 2020