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निम्नलिखितके आधार पर
(i) 5 से 16अक्तूबर 2015 केदौरान भारतीयबीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण (इसआदेश में इसकेबाद `प्राधिकरण
(ii) उपर्युक्तएससीएन के लिएमेसर्सयुनाइटेडइंडिया इंश्योरेंसकंपनी लि. (इसआदेश में इसकेबाद “यूआईआईसी
(iii) हैदराबादस्थित अपनेकार्यालय मेंप्राधिकरण केअध्यक्षद्वारा 28नवंबर 2018 कोअपराह्न 3,00 बजेआयोजितवैयक्तिकसुनवाई मेंयूआईआईसी द्वाराकिये गयेप्रस्तुतीकरण।
(iv) दिनांक 14दिसंबर 2018 केपत्र केअनुसारवैयक्तिक सुनवाईके बादयूआईआईसीद्वाराप्रस्तुत कियेगये अतिरिक्तप्रस्तुतीकरण
2.आईआरडीएआईने 5 से 16अक्तूबर 2015 तककी अवधि केदौरान मेसर्सयुनाइटेडइंडिया इंश्योरेंसकंपनी लि. काएक प्रत्यक्ष(आनसाइट) निरीक्षणसंचालित कियाथा। निरीक्षणरिपोर्ट सेअन्य बातों केसाथ-साथ बीमाअधिनियम, 1938,उसके अधीनजारी किये गयेविनियमों,दिशानिर्देशोंऔर विभिन्नपरिपत्रों केउपबंधों के कुछउल्लंघनविदित हुए।
3.उक्तनिरीक्षणरिपोर्ट की एकप्रतियूआईआईसी कोउनके उत्तर कीअपेक्षा करतेहुए 19 अप्रैल 2017को भेजी गई।दिनांक 29 मई 2017और 7 फरवरी 2018 केपत्रों केअनुसारयूआईआईसीद्वारा कियेगये प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेके बाद 29 अगस्त2018 को एक एससीएनजारी किया गयाजिसका उत्तरयूआईआईसीद्वारादिनांक 31 अक्तूबर2018 के पत्र केअनुसार दियागया। उसमेंयूआईआईसीद्वारा कियेगये अनुरोध केअनुसार 28 नवंबर2018 को यूआईआईसीको एकवैयक्तिकसुनवाई का अवसरप्रदान कियागया।
4. उक्तवैयक्तिकसुनवाई मेंश्री गिरीशराधाकृष्णन, सीएमडी,श्री एस. शंकर,महाप्रबंधक,श्री बी. राजाराम,महाप्रबंधक,श्री आर.हरिहरन, उपमहाप्रबंधक,श्री के.नंदकुमार, उपमहाप्रबंधक,सुश्री डी.नागलक्ष्मी,उपमहाप्रबंधक,सुश्री गौरीवेंकटेशन, उपमहाप्रबंधक वसीसीओ तथाश्री संजयजोशी, मुख्यप्रबंधकयूआईआईसी कीओर से उपस्थितथे।प्राधिकरण कीओर से श्रीप्रभात कुमारमैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन), श्रीजी. आर.सूर्यकुमार,महाप्रबंधक(अध्यक्ष केईए) तथा श्रीके. श्रीधर,सहायकमहाप्रबंधक (प्रवर्तन)भी उपस्थितथे।
5. यूआईआईसीद्वारा 31अक्तूबर 2018 केअपने पत्र में,28 नवंबर 2018 कोवैयक्तिकसुनवाई केदौरान एवं वैयक्तिकसुनवाई के बाददिनांक 14दिसंबर 2018 केपत्र केअनुसार कियेगयेप्रस्तुतीकरणोंपर प्राधिकरणद्वारा विचारकिया गया तथाउसके आधार परप्रत्येकआरोप पर लियागया निर्णयनिम्नानुसारदिया जाता हैः
आरोप सं. 1
6. आईआरडीए(बीमाकर्ताओंकी आस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन)विनियम, 2000 कीअनुसूची II-
“उपगतपरंतु सूचित नकिये गयेदावों के लिएरिज़र्व(आईबीएनआर) कानिर्धारणबीमांकिकसिद्धांतोंका उपयोग करतेहुए कियाजाएगा। ऐसेनिर्धारण में,नियुक्तबीमांककप्राधिकरण कीसहमति के साथभारतीयबीमांकिकसोसाइटीद्वारा जारीकिये गये मार्गदर्शीनोटों तथा इसआशय के लिएप्राधिकरणद्वारा जारीकिये गयेकिन्हींदिशानिर्देशोंका पालनकरेगा।”
दस्तावेजोंकी जाँच करने केबाद, यह देखागया किमोटर-निजीक्षति और स्वास्थ्यव्यवसायों केसंबंध मेंयूआईआईसी ने 31मार्च 2015 कीस्थिति केअनुसारप्रदत्त दावाडेटा आंकड़ोंके आधार पर बीमांकिकसिद्धांतोंका प्रयोगकरते हुए आईबीएनआररिज़र्व कोपरिकलनोंद्वारा उपलक्षितकी तुलना मेंअपेक्षाकृतकम रखा।
7. प्रस्तुतीकरणोंका सारांश
बीमांककदावा प्रदत्तडेटा के आधारपर परिकलनोंके द्वाराउपलक्षितरिज़र्वो केअनुसार नहींजा सकेक्योंकि यहपूर्व केवर्षों में देखीगईप्रवृत्तियोंके अनुरूपनहीं थे।
बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया कि वित्तीयवर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18के लिएआईबीएनआररिज़र्वों काअनुमान करनेकी प्रक्रियावह नहीं थी जैसाकि वित्तीयवर्ष 2013-14 और 2014-15 केदौरान अनुसरण कियागया था। बीमाकर्ता नेकहा किनियुक्त बीमांककनेप्रबंधक-वर्गके साथविचार-विमर्शकरने के बादरिज़र्वों कोसभी तीनवित्तीय वर्ष2015-16, 2016-17 और 2017-18 केदौरानबीमांकिकसिद्धांतोंके आधार पर कियेगये परिकलनोंके अनुसाररखने कानिर्णय किया।
8. आरोप सं. 1पर निर्णय
आईआरडीएआईने समय-समय परसभी साधारणबीमाकर्ताओंको स्पष्टकिया किआईबीएनआर रिज़र्वोंका अनुमानबीमांकिकसिद्धांतों काप्रयोग करतेहुएनिर्धारितकिया जाएगा।
नियुक्तबीमांकक सेप्रत्याशितहै कि वह परिपत्रसं. 11/आईआरडीए
तथापि,बीमाकर्ता केइसप्रस्तुतीकरणको ध्यान मेंरखते हुए किनियुक्तबीमांकक नेआईबीएनआरप्रावधान कीसिफारिशबिलकुलअनुमानित रूपमें की है औरसाथ हीबीमाकर्ता नेतीनों वित्तीयवर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18के दौराननियुक्तबीमांककद्वारा की गईसिफारिश केअनुसारप्रावधानकिया है, उक्तआरोप पर जोरनहीं दियाजाता है। उक्तसाधारणबीमाकर्ता कोआईआरडीएआई(साधारण बीमाव्यवसाय की आस्तियाँ,देयताएँ औरशोधक्षमतामार्जिन) विनियम,2016 की अनुसूची
आरोप सं. 2
9. निम्नलिखितका उल्लंघन
I) परिपत्रसं. आईआरडीए
- प्रभारितकी जाने केलिएप्रस्तावितदरें उचितप्रक्रिया काअनुसरण करनेके बाद फाइलकी जाएँगी।
-प्रतियोगितादरों कीसिद्धांतहीनकमी (रेट कटिंग)और अन्यअनुचितजोखिम-अंकनप्रथाओँ के लिएमार्गप्रशस्त नहींकरेगी।
-प्रत्येकबीमाकर्ताउत्पाद का विपणनपूर्णतयाप्राधिकरणद्वाराअनुमोदित रूपमें शर्तों औरउत्पाद कीअन्यविशेषताओं केअनुसार करेगातथा बताई गईदरेंआईआरडीएआई केपास फाइल कियेगये दायरे केअंदर होंगी।
II) आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 का विनियम 3(2)और 11(1) क्योंकिबीमाकर्ता नेजोखिम कीबीमारक्षा(कवरेज) औरप्रभार्यप्रीमियम केसंबंध मेंसंभावितग्राहक को गलतसूचना दी।
विनियम 3(2) केअनुसार, “
विनियम 11(1) केअनुसार, “
यूआईआईसीकी नमूनापालिसीफाइलों कीजाँच करने परयह पाया गयाकि
क) बीमाकर्ताने विभिन्नग्राहकों कोदी गई “छूटकी सीमा”
ख) दोकारपोरेटग्राहकों कोजारी की गईआवश्यकता-आधारित(टेलर मेड)सामूहिक स्वास्थ्यपालिसियों कीरेट#2367;ंगप्रदत्त दरोंकीव्यवहार्यताकी जाँच कियेबिना, अन्यबीमाकर्ताओंसे ली गई दरोंसेव्युत्पन्नकी गई है।
10. प्रस्तुतीकरणोंका सारांश
क)एसटीएफआई केलिए दरेंपूर्व केप्रशुल्क (टैरिफ)में मूलबीमारक्षामें शामिल कीगई हैं।यद्यपि एसटीएफआईदरें शामिल कीगई हैं, तथापिउक्त टैरिफएसटीएफआई केलिए अलग सेप्रभारितकरने से बीमाकर्ताकोप्रतिबंधितनहीं करता। येएसटीएफआईदरें बीमितव्यक्ति हेतुस्पष्टता के लिएपालिसी केमुखपृष्ठ परमुद्रित की गईहैं तथा इसकाआशय बीमितव्यक्ति कोभ्रमित करनानहीं है।सामान्यबाजार प्रथाके अनुसार,वैयक्तिकगुण-दोष केआधार परएसटीएफआई कोछोड़कर मूलबीमारक्षा परछूटें दी जातीहैं। जोखिम केलिएअनुमति-योग्यछूट/ प्रभारजोड़ने(लोडिंग) काप्रतिशतविभिन्न वैयक्तिकजोखिमविशिष्टताओंपर आधारितहोगा। उसकेबाद अन्यऐड-आन कवरोंके लिए ईक्यूऔर एसटीएफआईदरेंप्रीमियम केसाथ लागू कीजाती हैं।एसटीएफआईदरें आपातीजोखिम हैं तथाकिसी एक एकलजोखिम तकसीमित नहींहैं, अतः एक ही प्रकारके सभीजोखिमों केलिए एकसामान्य दर प्रभारितकी जा रही है।
बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया है कि यहसुनिश्चितकरने के लिएकि छूटेंअव्यवस्थितरूप में नहींदी जाएँ, उसनेआईटी प्रणालीमें ही कईनियंत्रणउपाय लागूकिये हैं।
ख)बीमाकर्तासामूहिकस्वास्थ्यपालिसियों कीव्यवहार्यताका विश्लेषण लगातारकर रहा है तथाकीमत-निर्धारणके संबंध मेंप्रक्रियामें सुधार केसाथ पहले हीअग्रसर होचुका है जैसाकि व्ययों औरआईबीएऩआर के लिएकुछ मार्जिनके साथ बीमितव्यक्ति केपिछलेरिकार्ड/
11. आरोपसं. 2 पर निर्णय
क)कवरेज,अपवर्जनोंतथा `परिनिर्माणसभी जोखिमपालिसी’
जाँचकी गई दोपालिसियोंमें साधारणबीमाकर्ता नेकुल प्रीमियमको मूलप्रीमियम औरएसटीएफआईप्रीमियम केरूप में अलगकर दिया है।जबकि, साधारणबीमाकर्ता नेएक समेकितप्रीमियम को फाइलकिया है तथामूल दर औरएसटीएफआईजोखिमों केलिए दर के लिएएफएण्डयू दिशानिर्देशोंके अंतर्गतफाइल की गई दरमें दर का कोईद्विभाजननहीं दर्शायाहै। संभावितग्राहक/
पहलीपालिसी मेंबीमाकर्ता नेएसटीएफआई जोखिमोंके कवर को एकऐड-आन कवर केरूप मेंदर्शाया हैतथा इसीप्रकार दूसरीपालिसी कीअनुसूची मेंबीमाकर्ता नेएसटीएफआईजोखिमों केकवरेज को एकअतिरिक्त कवरके रूप मेंदर्शाया है।
उपर्युक्तदृष्टिकोण कोअपनाने केद्वारा बीमाकर्ताने एक भ्रामकप्रभाव(इम्प्रेशन)उत्पन्न कियाहै कि उसनेमूल कवर पर एकभारी छूट दीहै तथाएसटीएफआईजोखिमों केकवरेज को एकअतिरिक्तऐड-आन/ अतिरिक्तकवर के रूपमें दर्शायाहै। वर्तमानमामलों मेंबीमाकर्ताद्वारा अपनाईगई प्रथा सेप्राधिकरण केपास फाइल की गईदर-मार्गदर्शिकाका विचलन हुआहै, जिसमें ईएआरजोखिम के लिएएक एकल दरफाइल की गई हैजिसमेंएसटीएफआईजोखिमों काकवरेज शामिलहै।
जाँचकी गई दोपालिसियोंमें पाये गयेउल्लंघनों कोध्यान मेंरखते हुए, जोजनवरी और फरवरी2015 के दौरानजारी की गईथीं,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102(बी)के अंतर्गतनिहित शक्तियोंका प्रयोगकरते हुए 2 लाखरुपये काअर्थदंड (उक्तदो पालिसियोंमें प्रत्येकके लिए 1 लाख रुपये)लगाता है।
ख)यूआईआईसीने स्वीकारकिया कि उक्तटिप्पणी मेंउल्लिखित दोस्वास्थ्यपालिसियों
की रेटिंगनवीकरणों केप्रतिधारण कोसुनिश्चितकरने के लिएप्रचलितप्रतिस्पर्धीभावों
के कारक केसाथ विभिन्नजोखिम कारकोंपर आधारित थी।
उपलब्धआंतरिककार्यालयीन टिप्पणियोंसे यह देखागया कि उक्तउल्लिखित दोपालिसियों केअंतर्गतबीमाकर्ताद्वारा प्रस्तावितदरें,एफएण्डयूदिशानिर्देशोंके अंतर्गतयथाअपेक्षितजोखिम कारकोंके आधार पर उनपर विचार करनेके बजायप्रतिस्पर्धियोंकी दरों केसाथ बराबरीकरने के लिएथीं। प्रभारजोड़ने(लोडिंग)/
जाँच की गईदो पालिसियोंमें पाये गयेउल्लंघनों कोध्यान मेंरखते हुए, जोअगस्त औरसितंबर 2015 मेंजारी की गईथीं,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102(बी)के अंतर्गतनिहितशक्तियों का प्रयोगकरते हुए 2 लाखरुपये काअर्थदंड (उक्तदो पालिसियोंमें सेप्रत्येक केलिए 1 लाख रुपये)लगाता है।
आरोप सं. 3
12. आईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 9 काउल्लघन। उक्तविनियम केअनुसारः
- साधारणबीमाकर्ता कोबीमितव्यक्ति सेसूचनाप्राप्त होनेपर 72 घंटे केअंदर एकसर्वेक्षक कीनियुक्तिकरनी चाहिए।
-सर्वेक्षकअपनी रिपोर्टप्रस्तुतकरने के लिएअपनीनियुक्ति कीतारीख से छहमहीने से अधिकसमय नहींलेगा।
-सर्वेक्षणरिपोर्ट कीप्राप्ति केबाद, बीमाकर्ता30 दिन के अंदरबीमितव्यक्ति कोदावे का निपटानप्रस्तावितकरेगा।
- बीमितव्यक्ति केद्वाराप्रस्ताव कीस्वीकृति कीतारीख से 7 दिनके अंदरबीमाकर्ताराशि काभुगतानकरेगा।
यूआईआईसीसे संबंधितनमूनादस्तावेजोंकी जाँच करनेपर यह पायागया कि
क) ऐसी अनेकपरिस्थितियाँहैं जहाँसर्वेक्षक कीनियुक्ति 72घंटे के बादकी गई है।
ख)
ग) 33 दावोंमेंसर्वेक्षक कीअंतिमरिपोर्ट की प्राप्तिके बादबीमाकर्ताद्वारा दावेके निपटान मेंविलंब कियागया है।
13. प्रस्तुतीकरणोंका सारांश
क)यूआईआईसी नेसूचित किया किउपलब्ध डेटाके अनुसार,सर्वेक्षक केनियुक्त कियेगये मामलोंके संबंध मेंसर्वेक्षक कीनियुक्ति मेंविलंब 2015-16 केदौरान 25%, 2016-17के दौरान 25%
इसकेअतिरिक्त,यूआईआईसी नेप्रस्तुतीकरणकिया कि 1अप्रैल 2019 से एकसंशोधितसर्वेक्षकप्रबंध नीतिकार्यान्वितकी जा रही हैजो सर्वेक्षकोंकी नियुक्ति,रिपोर्ट कीप्रस्तुति औरदावा निपटानके लिएसमय-सीमाएँस्पष्ट रूप सेविनिर्दिष्टकरती है। आईटीप्रणालियोंमें जाँच औरसंतुलन कोप्रारंभ कियागया है। विलंबहोने कीस्थिति में वहअगले उच्चतरप्राधिकारीके पासप्रस्तुत कीजाएगी।
ख)यूआईआईसीने यह सूचितकरते हुएदावा-वार डेटाप्रस्तुतकिया जहाँउक्त आरोप मेंउल्लिखित 28दावों में सेकेवल 5 दावोंके संबंध मेंसर्वेक्षक कीरिपोर्ट कीप्रस्तुतिमें विलंब हुआथा जोदावेदारों केद्वारादस्तावेज प्रस्तुतन करने केकारण था।
ग)यूआईआईसीने आरोप मेंउल्लिखित 33नमूना दावोंका दावा-वारडेटाप्रस्तुतकिया जिसमेंसर्वेक्षक कीरिपोर्ट कीप्राप्ति कीतारीख, सर्वेक्षककी रिपोर्टप्राप्त होनेके बाद यूआईआईसीद्वारा कियेगये प्रस्तावकी तारीख, यूआईआईसीद्वारा कियेगये प्रस्तावकी स्वीकृतिकी तारीख तथा दावेके भुगतान कीतारीख काविवरण दियागया। यूआईआईसीने आगे यह भीप्रस्तुतीकरणकिया कि परिचालनकार्यालयोंऔर दावासर्विसिंगकेन्द्रों(हबों) कोसंवेदनशीलबनाया गयाजिससे आवधिकसमीक्षाओं केमाध्यम सेटर्नअराउंडसमयों काकड़ाई से पालनकिया जा सकेतथा बेहतर निगरानीके लिए आईटीप्रणाली केमाध्यम से इसडेटा को ग्रहणकरने के लिएरिपोर्टेंअभिकल्पित कीगई हैं।
14. आरोप सं. 3पर निर्णय
क)सर्वेक्षक कीनियुक्ति मेंविलंब कोनिर्दिष्टकरनेवालेडेटा केप्रस्तुतीकरणके लिए कारणभूतडेटात्रुटियोंसंबंधीप्रस्तुतीकरणके आधार पर,बीमाकर्ता कोसदैवसमय-सीमाओँ काअनुपालनसुनिश्चितकरने तथा एकनियमित आधारपर प्रगति परदृष्टि रखने
ख)सर्वेक्षणरिपोर्ट कीप्राप्ति मेंविलंब परनिरीक्षण कीटिप्पणी मेंउल्लिखित 28नमूना दावामामलों केसंबंध मेंबीमाकर्ता नेस्पष्ट कियाकि दावेदार सेदस्तावेजप्राप्त न होनेके कारण 5मामलों मेंसर्वेक्षणरिपोर्ट कीप्राप्ति मेंविलंब हुआ। इससंबंध में कोईआवश्यकदस्तावेजप्राप्त करनेमें विलंबहोने कीस्थिति मेंदावेदार/
ग)सर्वेक्षणरिपोर्टप्राप्त करनेके बाद दावानिपटान मेंविलंब केसंबंध में 33दावों के विषयमें बीमाकर्ताद्वाराउपलब्ध करायेगये डेटा कीजाँच करने परयह पाया गयाकि 12 दावों केमामले मेंदावेदार कोप्रस्तावकरने में 30 दिनसे अधिक विलंबहुआ है।प्रस्तावकरने मेंनिर्धारितअवधि से अधिकविलंब दिनोंमें 17 दिन से 886दिन के दायरेमें है। विवरणनिम्नानुसारहैः
आरोप 3 के अनुबंध 3 की नमूना पालिसियों की क्रम संख्या | हानि की तारीख | सर्वेक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने की तारीख | यूआईआईसी द्वारा प्रस्ताव करने की तारीख | सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्राप्ति के बाद 30 दिन के ब#2366;द लिया गया अतिरिक्त समय |
14 | 24-04-2014 | 09-07-2014 | 21-11-2014 | 105 दिन |
15 | 23-05-2014 | 24-09-2014 | 12-03-2015 | 139 दिन |
16 | 10-08-2014 | 10-10-2014 | 12-04-2017 | 886 दिन |
17 | 13-07-2014 | 02-09-2014 | 11-09-2015 | 344 दिन |
20 | 17-07-2013 | 10-06-2014 | 25-11-2015 | 503 दिन |
21 | 16-04-2014 | 30-04-2014 | 25-06-2014 | 26 दिन |
22 | 12-10-2014 | 15-12-2014 | 11-03-2015 | 61 दिन |
23 | 24-08-2014 | 20-10-2014 | 05-12-2014 | 17 दिन |
24 | 29-11-2013 | 18-07-2014 | 05-11-2014 | 80 दिन |
25 | 12-10-2014 | 29-10-2014 | 17-03-2015 | 109 दिन |
28 | 20-05-2014 | 31-07-2014 | 07-10-2014 | 38 दिन |
31 | 10-05-2014 | 16-10-2014 | 16-06-2015 | 213 दिन |
सर्वेक्षणरिपोर्ट कीप्राप्ति केबाद साधारणबीमाकर्ताद्वाराप्रस्तावकरने में विलंबके संबंध में 12नमूना दावामामलों में (26दिसंबर 2014 सेपहले हानि कीतारीख सहित)पाये गये उल्लंघनको देखते हुए,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102(बी)के अंतर्गतनिहित शक्तियोंका प्रयोगकरते हुए 5 लाखरुपये काअर्थदंडलगाता है।
इसकेअतिरिक्त,उक्त साधारणबीमाकर्ता कोआईआरडीए(पालिसीधारकोंके हितों कासंरक्षण) विनियम,2002 के विनियम 9 केउपबंधों केअनुसार विलंबितअवधि हेतुदंडात्मकब्याज अदाकरने के लिएनिर्देश दियाजाता है।
15.निर्णयोंका सारांशः
आरोप सं. | उल्लंघन के संबंधित उपबंध | निर्णय |
1 | आईआरडीए (बीमाकर्ताओँ की आस्तियाँ, देयताएँ और शोधक्षमता मार्जिन) विनियम, 2000 की अनुसूची-II- बी के अंतर्गत पैरा 2 (ii-सी) | परामर्शी |
2 | एफएण्डयू दिशानिर्देंश और आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 | 4 लाख रुपये का अर्थदंड |
3 | आईआरडीए (पालिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम, 2002 का विनियम 9 | 5 लाख रुपये का अर्थदंड |
16. निष्कर्षके तौर पर,जैसा किसंबंधितआरोपों केअंतर्गतनिर्दिष्टकिया गया है, रु.9 लाख (केवल नौलाख रुपये) केअर्थदंड कीकुल राशि यूआईआईसीद्वाराएनईएफटी/
इसकेअतिरिक्त,
i. उक्तआदेश साधारणबीमाकर्ता केबोर्ड के समक्षआगामी बोर्डबैठक मेंप्रस्तुतकिया जाएगातथा साधारणबीमाकर्ताविचार-विमर्शके कार्यवृत्तकी एक प्रतिउपलब्धकराएगा।
ii. साधारणबीमाकर्तादिये गयेनिर्देश पर कीगई कार्रवाईकी एक रिपोर्टप्राधिकरण कोइस आदेश कीतारीख से 30 दिनके अंदरप्रस्तुतकरेगा।
17. यदियूआईआईसी इसआदेश सेअसंतुष्ट है,तो बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 110 केउपबंधों केअनुसार प्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी) को एकअपीलप्रस्तुत कीजा सकती है।
(डा.सुभाष सी.खुंटिआ)
स्थानःहैदराबाद