1. भारतीयबीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण(इसमें इसकेबाद `प्राधिकरण~केरूप में उल्लिखित)भारतमें बीमा क्षेत्रके समग्र पर्यवेक्षणके लिए `जोखिमआधारित पर्यवेक्षीढाँचा~ (इसमेंइसके बाद आरबीएसअथवा आरबीएसएफके रूप में उल्लिखित)अपनानेकी प्रक्रिया मेंहै। प्राधिकरणवर्तमान विनियामकऔर पर्यवेक्षीव्यवस्था की समीक्षाकरने तथा बीमापर्यवेक्षण मेंजोखिम निर्धारणव्यवस्था को विधिवत्सम्मिलित करतेहुए समग्र पर्यवेक्षणहेतु एक उपयुक्तढाँचा तैयार करनेके लिए `आरबीएस~कीदिशा में अग्रसरहोने के लिए एकसमग्र योजना विकसितकरेगा।
2.वर्तमानमें, प्राधिकरणपर्यवेक्षण केलिए प्राथमिक तौरपर अनुपालन आधारितदृष्टिकोण पर ध्यानकेन्द्रित कर रहाहै। दोदशकों की अवधिमें पर्यवेक्षितकी जानेवाली संस्थाओंकी संख्या कई गुनाबढ़ गई है। अनुपालनके दृष्टिकोण सेपर्यवेक्षण करनेके लिए सभी विनियमितसंस्थाओं के लिएउनके आकार,व्यावसायिकमॉडल और उल्लेखनीयगतिविधियों केस्वरूप का विचारकिये बिना एक हीमानदंड को लागूकरने की आवश्यकताहोगी। इसके बदले,आरबीएसके अंतर्गत,प्रत्येकविनियमित संस्थाका मूल्यांकन उसकी`जोखिम प्रोफाइल~औरउसके साथ संबद्धसमग्र जोखिम केआधार पर किया जाएगा।इससे प्राधिकरणअन्य संस्थाओंकी अपेक्षा उच्चतरजोखिम प्रदर्शितकरनेवाली संस्थाओंपर ध्यान अधिककेन्द्रित कर सकेगा।उस सीमा तक,प्राधिकरणभी कुशलतापूर्वकअपने संसाधनो काउपयोग करने औरप्रभावी पर्यवेक्षणप्राप्त करने कीस्थिति में होगा।
3.आरबीएसढाँचा उन विभिन्नजोखिमों पर विचारकरेगा जो बीमाकर्तास्वयं के प्रतितथा कुल मिलाकरवित्तीय प्रणालीके प्रति उत्पन्नकर रहे हैं। प्रत्येकसंस्था की जोखिमप्रोफाइल विशिष्टपर्यवेक्षी कार्य-योजनाके संयोजन के साथअप्रत्यक्ष निगरानी,प्रत्यक्ष(ऑनसाइट)निरीक्षणऔर संस्थाओं केसाथ संरचनागत बैठकोंसे युक्त पर्यवेक्षीकार्य-योजनानिर्धारित करेगी।
4.विशिष्टजोखिम आधारित पर्यवेक्षणमें जोखिमों कामूल्यांकन कुछमानदंडों के आधारपर उल्लेखनीय गतिविधियोंकी पहचान को समाविष्टकरेगा, अर्थात्अंतर्निहित जोखिमोंकी पहचान,प्रत्येकउल्लेखनीय गतिविधिमें संबद्ध निवलजोखिम को समझनेकी दिशा में मार्गप्रशस्त करनेवालेजोखिमों के चारोंओर निर्मित नियंत्रणव्यवस्था की जाँच-पड़तालको शामिल करेगा।5. विभिन्नउल्लेखनीय गतिविधियोंके लिए निवल जोखिमोंका एकत्रीकरण एक`समग्र निवलजोखिम~ उपलब्धकराएगा। पूँजी,चलनिधिऔर अर्जन के रूपमें संस्थाओं केलिए उपलब्ध अतिरिक्तसहायता को संस्थाके लिए समग्र जोखिमकी रेटिंग को प्रतिबिंबितकरने के लिए समग्रनिवल जोखिम केआधार पर उपयुक्तरूप से समायोजितकिया जाएगा।
5.बीमापर्यवेक्षण केलिए एक आरबीएसढाँचे को अपनानेके लाभों का सारांशनिम्नानुसार दियाजा सकता हैः
क.संरचित दृष्टिकोणविभिन्न जोखिमों,संस्थाके लिए आंतरिकऔर बाह्य परिवेश– दोनों का मूल्यांकनकरने में सहायकहोगा;
ख.आरबीएस वित्तीयसुदृढ़ता को सुनिश्चितकरने के लिए संस्थाओंके बोर्ड और वरिष्ठप्रबंधन के उत्तरदायित्वपर उचित संकेन्द्रणके साथ अग्रदर्शीऔर परिणाम आधारितहै;
ग.यह प्रारंभिक स्तरपर बाजार व्यवहारऔर विवेकसम्मतपहलुओं से संबंधितविभिन्न जोखिमोंके अभिनिर्धारणको सुसाध्य बनायेगाताकि संस्था कीसमग्र जोखिम प्रोफाइलके आधार पर समयपर विनियामक हस्तक्षेपसंभव हो सके;
6.हाल की 2017 कीवित्तीय क्षेत्रमूल्यांकन कार्यक्रमरिपोर्ट में,अंतरराष्ट्रीयमुद्रा कोष(आईएमएफ)औरविश्व बैंक नेसिफारिश की किप्राधिकरण एक जोखिमआधारित पर्यवेक्षीदृष्टिकोण की दिशामें आगे बढ़े। आईएआईएसके बीमा संबंधीमुख्य सिद्धांतोंने भी पर्यवेक्षकोंसे यह अपेक्षाकी कि वे प्रत्येकबीमाकर्ता के व्यवसायकी जाँच करने,उसकीस्थिति,जोखिमप्रोफाइल,गुणवत्ताऔर कॉरपोरेट अभिशासनका मूल्यांकन करनेके लिए दोनों अप्रत्यक्षनिगरानी और प्रत्यक्ष(ऑनसाइट)निरीक्षणका उपयोग करनेवालेपर्यवेक्षण हेतु`जोखिम आधारितदृष्टिकोण~कोअपनाएँ।
7.हाल के समय में,अंतरराष्ट्रीयवित्तीय विस्तार(स्पेक्ट्रम)नेवैश्वीकरण और समेकनकी ओर उन्मुख प्रवृत्तियोंका साक्षात्कारकिया है। वित्तीयप्रणाली की स्थिरतावैश्विक तौर परविनियमनकर्ताओंके लिए एक चुनौतीबन गई है। भारतमें बीमा क्षेत्रभी पिछले दो दशकोंमें एक जोखिम आधारितपर्यवेक्षी दृष्टिकोणकी अपेक्षा करनेके लिए विकास केएक स्तर तक पहुँचगया है।
8.आरबीएस की ओर अग्रसरहोने की प्रक्रियामें विनियमित संस्थाओंकी कार्यप्रणालीमें कुछ परिवर्तनपरिकल्पित कियेगये हैं। प्रमुखपरिवर्तनों मेंशामिल हैं:
क. उत्तरदायित्वोंऔर जवाबदेही कीरूपरेखा अधिक स्पष्टतासे प्रस्तुत करनेके लिए विनियमितसंस्थाओं के पासअभिशासन के सुपरिभाषितमानक और भली भाँतिप्रलेखीकृत नीतियाँ,क्रियाविधियाँऔर प्रथाएँ विद्यमानहोने की आवश्यकताहै;
ख. आरबीएसकी अपेक्षाओं केसाथ पंक्तिबद्धहोने के लिए संगठनात्मकसंरचना की समीक्षाकरनी चाहिए;
ग. जोखिम प्रबंधसंस्कृति की समीक्षा;
घ. जोखिम आधारितआंतरिक लेखा-परीक्षाको अपनाना;
ङ. जोखिम केनिर्धारण के लिएअपेक्षित विभिन्नतत्वों को ग्रहणकरने और उन्हेंसूचित करने केलिए विकसित आईटीऔर एमआईएस;
च. पर्यवेक्षीकार्य योजनाओंके भाग के रूप मेंसमय-समयपर विनियमनकर्ताद्वारा सुझायेगये रूप में तत्परतापूर्वकसुधारक कार्रवाइयाँकरने के लिए`अनुपालन यूनिट~बनाना;
छ. केवल अनुपालनके स्थान पर जोखिमके मूल्यांकन कीओर अग्रसर होनेके लिए आवश्यकहोनेवाले कौशलसेटों, विस्तृतप्रशिक्षण और स्टाफके पुनः अभिनियोजन;आदिकी समीक्षा।
9.उद्देश्ययह है कि कार्यान्वयनकी प्रभावोत्पादकताऔर कुशलता की जाँचकरने तथा संभवअंतराल यदि कोईहों तो उनकी पहचानकरने के लिए चयनितसंस्थाओं के संबंधमें एक प्रायोगिकपरियोजना संचालितकरने के बाद बीमाकर्ताओंके साथ प्रारंभकरते हुए और उसकेबाद मध्यवर्तियोंके साथ एक चरणबद्धतरीके से आरबीएसप्रक्रिया को आगेबढ़ाया जाए। इसप्रक्रिया मेंविकास और कार्यान्वयनक्रियाविधि केविभिन्न चरणोंपर एक निरंतर आधारपर उद्योग के खिलाड़ियोंके साथ परामर्शकिया जाएगा।
10.आईआरडीएआईके अंदर आरबीएसके लिए कार्यान्वयनदृष्टिकोण सुझानेऔर सुचारु रूपसे परिवर्तन कोप्राप्त करने केलिए एक कार्यान्वयनसमिति गठित कीगई है।
11.इसपृष्ठभूमि के होतेहुए, बीमाकर्ताऔर मध्यवर्ती अपनेद्वारा किये जानेवालेप्रत्येक कार्यकलापके जोखिम की पहचानपर अधिकाधिक फोकसदेने तथा ऐसे जोखिमोंके आंतरिक निर्धारणको समर्थ बनानेवालाढाँचा और अपनेसंगठन की संस्कृतिके अंदर ऐसे जोखिमोंको कम करने के लिएतदनुरूपी व्यवस्थानिर्मित करने केलिए कार्रवाई प्रारंभकरें।
12.प्राधिकरणआरबीएस के विकासके चरण पर एक निरंतरआधार पर उद्योगको अद्यतन जानकारीसे अवगत कराएगातथा जब भी आवश्यकहो तब उद्योग कोउपयुक्त रूप सेसंबद्ध करेगा।
(जे.मीनाकुमारी)
मुख्यमहाप्रबंधक
अध्यक्ष– कार्यान्वयनसमिति