यह उपर्युक्तविषय पर परिपत्रसं. आईआरडीए/एनएल/सीआईआर/विविध/173/09/2015दिनांक24 सितंबर2015 के संदर्भ मेंहै। तब से बीमाकर्ताओंने विभिन्न अवसरोंपर प्रस्तुत कियाकि उपर्युक्त परिपत्रआईआरडीए (पॉलिसीधारकोंके हितों का संरक्षण)विनियम,2002 (पीपीआई विनियम)औरभारतीय संविदाअधिनियम के अनुरूपनहीं है।
प्राधिकरणने संविदा अधिनियम,पीपीआईविनियम और सर्वोच्चन्यायालय के निर्णयोंपर विचार करतेहुए इस विषय कीसमीक्षा की है।पॉलिसीधारकोंऔर बीमाकर्ताओंके कानूनी अधिकारोंके प्रति समानसंज्ञान लेते हुएप्राधिकरण इसकेद्वारा आगे यहनिर्देश देता हैकि-
(i) जहाँभी दावे के निपटानके संबंध में बीमाकर्ताद्वारा प्रस्तावितराशि को लेकर बीमाकृतव्यक्ति/योंअथवा दावेदार/दावेदारोंके द्वारा कोईविवाद नहीं है,वहाँउन्मोचन (डिस्चार्ज)वाउचरप्राप्त करने कीवर्तमान प्रणालीजारी रखी जाए।तथापि, बीमाकर्तायह अवश्य सुनिश्चितकरें कि बीमाकृतव्यक्ति/योंअथवा दावेदार/दावेदारोंके हस्ताक्षर प्राप्तकरते समय संगृहीतवाउचर अनिवार्यतःदिनांकित होनेचाहिए तथा सभीप्रकार से पूर्णहोने चाहिए।
(ii) यदिप्रस्तावित राशिको लेकर बीमाकृतव्यक्ति/योंअथवा दावेदार/दावेदारोंके द्वारा विवादकिया जाता है,तोबीमाकर्ता बीमाकृतव्यक्ति/योंअथवा दावेदार/दावेदारोंद्वारा उन्मोचितवाउचर की प्रतीक्षाकिये बिना निर्धारितराशि का भुगतानकरने के लिए कदमउठाएँगे।
(iii) किसीभी परिस्थिति मेंउन्मोचन वाउचरोंका संग्रहण दबावके अंतर्गत,जोर-जबरदस्तीद्वारा, विवशकरते हुए अथवाबाध्यकरण के द्वारानहीं किया जाएगा।
चूँकिप्रयोग में लायेजानेवाले उन्मोचनवाउचरों के फार्मेट/ वाक्यरचनामें एकरूपता नहींहै, अतः प्राधिकरणयह सुझाव देगाकि बीमाकर्ता उन्मोचन(डिस्चार्ज)वाउचरके एक मानकीकृतफार्मेट / वाक्यरचनाको अपनाने के संबंधमें विचार करें।
बीमाकर्ताओंको निर्देश दियाजाता है कि वे उपर्युक्तका अनुपालन तत्कालप्रभाव से करें।
पी.जे.जोसेफ
सदस्य(गैर-जीवन)