बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 7 के अंतर्गत जमाराशि का आहरण
बीमा अधिनियम, 1938 कीधारा 7 में यह अपेक्षाकी गई है कि प्रत्येकबीमाकर्ता उसमेंविनिर्दिष्ट राशिभारतीय रिज़र्वबैंक के पास नकदअथवा अनुमोदितप्रतिभूतियोंमें जमाराशि केरूप में बनायेरखे।प्राधिकरणने परिपत्रआईआरडीए/आईएनवी/005/2003-04 दिनांक 17 अक्तूबर 2003 औरपरिपत्र आईएनवी/सीआईआर/009/2003-04 दिनांक 22 मार्च 2004 तथापरिपत्र आईएनवी/सीआईआर/023/2004-05 दिनांक 20 जुलाई 2004 केद्वारा बीमाकर्ताओंको निदेश दियाकि वे किसी भी अनुसूचितवाणिज्य बैंक केपास श्रेष्ठ (गिल्ट) खातेमें अनुमोदित प्रतिभूतियोंके रूप में उक्तजमाराशि बनायेरखें। प्राधिकरणने निदेश दियाकि उक्त श्रेष्ठ (गिल्ट) खातेसे निवेश के किसीभी आहरण/प्रतिस्थापन/अंतरणकी छूट केवल प्राधिकरणकी पूर्व-अनुमतिके साथ ही दी जाएगी।
बीमा विधि (संशोधन) अधिनियम, 2015 नेबीमा अधिनियम, 1938 कीधारा 7 के अंतर्गतजमाराशि बनायेरखने की अपेक्षासे छूट दी थी। इसप्रकार, बीमाकर्ताधारा 7 वाली जमाराशिके प्रयोजन केलिए सीएसजीएल खातेमें धारित ग्रहणाधिकार (लियन) अंकितप्रतिभूतियाँआहरित कर सकतेहैं।उक्त सीएसजीएलखाते में धारितजमाराशि आहरितकरने के लिए बीमाकर्ताओंके लिए अनुमोदनयह परिपत्र होगा।इसकेअतिरिक्त, बीमाकर्ताबीमा अधिनियम, 1938 कीधारा 7 के लिए खोलेगये अलग श्रेष्ठ (गिल्ट) खातेको बंद करेंगे।
एस.एन. जयसिंहन
संयुक्तनिदेशक (निवेश)
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Withdrawal of Deposit under Section 7 of Insurance Act, 1938.pdf