दुर्घटना करके भाग जाना (हिट एंड रन) - पॉलिसी धारक

दुर्घटना करके भाग जाना (हिट एंड रन)

मोटर वाहन अधिनियम, 1988, सामाजिक विधान का एक अंग है और इसके प्रावधान, सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं जहाँ दुर्घटना करने वाले मोटर वाहन की पहचान स्थापित नहीं की जा सकती हो। प्रासंगिक कानूनी प्रावधान, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 161 में निहित है जहाँ 'हिट एंड रन मोटर दुर्घटना' को ऐसी दुर्घटना के रूप में पारिभाषित किया गया है जो मोटर वाहन के उपयोग के कारण हुई हो व मोटर वाहन की पहचान करने के लिए सभी तर्कसंगत प्रयास करने के बावजूद पहचान सिद्ध नहीं की जा सकी हो। यह स्कीम, 01.10.1982 से लागू हुई।

इस धारा के अनुसार मुआवजे (क्षतिपूर्ति) के भुगतान का निम्नानुसार प्रावधान किया गया हैः

1.किसी हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर, अब एकमुश्त रु. 25,000 की राशि दी जाती है

2. किसी हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचने पर, अब एकमुश्त रु. 12,500 की राशि दी जाती है

हिट एंड रन के दावों की प्रक्रिया

'हिट एंड रन' वाहन के पीड़ित या उसके कानूनी प्रतिनिधि को, क्लेम इन्क्वॉयरी ऑफिसर के समक्ष एक आवेदन करना होता है जो हर एक तालुका में नियुक्त होते हैं। उचित जाँच के पश्चात क्लेम इन्क्वॉयरी ऑफिसर, क्लेम सेटलमेंट कमिश्नर, जो कि या तो जिला अधिकारी या जिला स्तर पर उपायुक्त होता है, के समक्ष पोस्टमार्टम प्रमाणपत्र या चोट के प्रमाणपत्र सहित एक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। वह दावे को प्रोसेस करता है और क्लेम इन्क्वॉयरी ऑफिसर से रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात 15 दिनों के अंदर भुगतान स्वीकृत करता है और स्वीकृति का आदेश बीमा कंपनी के नामित कार्यालय को भेजा जाता है। हिट एंड रन दुर्घटना मामलों के अंतर्गत मुआवजे, एक क्षतिपूर्ति निधि (सोलेटियम फन्ड) से दिए जाते हैं जिसमें सामान्य बीमा उद्योग द्वारा एक सहमतिप्राप्त फार्मूले के आधार पर योगदान किया जाता है। दावों का प्रशासन न्यू इंडिया एश्योरेंस कं. लि. द्वारा किया जाता है जो प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय समिति में एक डिवीजनल मैनेजर को नामित करती है।